चारो तरफ नवरात्र का भक्तिमय माहौल है...कही पर भक्ति से परिपूर्ण माता के जगराते हो रहे है तो कही भक्तो के लिए भंडारे चल रहे है ....ऐसे में नवरात्र में एक स्थान और है जहा logo का हुजूम खासकर युवक और नवयुवतियो का लगता है जहा देर रात कही कही तो सुबह होते होते तक भक्ति में डूबे भक्त नजर आते है वह स्थान है गरबा ....माता की स्तुति लिए भक्त जन देर रात तक भक्ति में थिरकते नजर आते है...लेकिन पिछले कुछ वर्षो से गरबा कहे या डांडिया इसके स्वरूप में बहुत बदलाव सा आया है जहा पारम्परिक वाद्य यंत्रो ढोल की जगह DJ और भारी भरकम साउंड ने ले ली है वही अब इस भक्ति और आराधना की जगह व्यवसायिकता ने अपने पैर पसार लिए है जंहा महंगे सेलिब्रिटी बुलाये जाते है माता की तस्वीर एक किनारे रख दी जाती है जिस ओर किसी का भी ध्यान नहीं जाता देर रात तक टीन एजर्स लड़के लडकिया घरो से बहार रहती है और तो और कही कही पर तो माता पिता को ही नहीं पता होता की उनकी लड़की किस गरबे में है..और किसके साथ है पिछले कुछ वर्षो में गरबे में आये इस परिवर्तन और आधुनिकता को लेकर प्रसिद्ध पत्रिका इंडिया टुडे ने गुजरात में एक सर्वे करवाया था जिसमे चौकाने वाले तथ्य सामने आये थे ....जो की शर्मनाक है...प्रसिद्ध समाचार एजेंसी में छपी खबर को यहाँ ज्यो का त्यों आपके सामने रखा जा रहा है..As garba season sizzles, condom sales hot up
Published: Monday, Oct 6, 2008, 4:01 IST .....
AHMEDABAD: A sure indication that the garba season is beginning to simmer is Ahmedabad pharmacists’ estimate that the sale of condoms and contraceptives has
increased by up to 25%.
increased by up to 25%.
According to the Ahmedabad Chemists Association, the figure is consistent with the past Navaratri trends. Usually, the sale of emergency contraceptive pills and
condoms rise by 20-25% during the festival.
condoms rise by 20-25% during the festival.
According to an Ahmedabad-based psychiatrist, Dr. Mrugesh Vaishnav, young people enjoy a degree of personal freedom during Navaratri that is rarely granted to them at other times. The slackening of parental rules and supervision allows some of the youth to explore intimacy with the opposite sex. “Young people are excited by the festive mood and as a result, moral barriers are broken,” Vaishnav said. “It can also be viewed as an act of defiance against social norms.”
Amid the raging twirl of hormones, which is viewed with disdain in many quarters, there lies some reassuring news: boys and girls revelling in unmonitored liberty are at least aware of the risks, especially Aids. कृपया इस पर विचार करे भक्तिमय और श्रद्धा के इस पर्व में इस तरह की विकृतियों को दूर करने में सहायक बने तभी सच्चे अर्थो में हमारी शक्ति की देवी के प्रति सच्ची आराधना होगी...
दुखद है.
जवाब देंहटाएंबहुत दुखद और शोचनीय स्तिथि..
जवाब देंहटाएंhttp://batenkuchhdilkee.blogspot.com/2011/09/blog-post.html