रविवार, 28 नवंबर 2010

महँगी होती शादियाँ..............

शाही शादियाँ और रंगीन रशमो ने शादियों को दिन पर दिन महंगा कर दिया है! हैरत में डालने वाली कीमतों से सज रही शादियों और उसमे दिए जाने वाले आमंत्रण कार्ड मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए परेशानी का शबब बनते जा रहे है!अब शादी में अपने परिचितों को बुलाने एक मिठाई का डिब्बा या ड्राईफुड की ट्रे,एयर टिकिट और होटल ekamdation कार्ड के साथ दिए जा रहे है कीमती घड़िया,प्लेटिनम अंगुठिया,चांदी,के डिब्बो में कार्ड भिजवाये जा रहे है!कार्ड गैलरी वालो का कहना है की कस्टमर एक कार्ड इनविटेशन पर हजारो रु. खर्च करने को सहज तैयार है! इन कार्ड में अलग अलग थीम को स्पष्ट किया जाता है जैसे सोने के हुक्के कार्ड के साथ भेजने वाले कव्वाली थीम का संगीत,चांदी की बांसुरी (रांस लीला थीम),कलम दवात (जोधा अकबर थीम)और हाई प्रोफाइल शाप के फ्री बाउचर या 7 डावर जिसके प्रत्येक डावर में अलग अलग गिफ्ट आयटम हो तो समझ जाये की थीम बालीवुड है जिसमे हिंदी फिल्मो के संगीत का विशेष कार्यक्रम होगा!
शादियों में होने वाले खर्च आसमान छू रहे है! वही शादियों के बाद रिश्तो की स्थिरता में उतनी ही गिरावट आई है !मेहमान नवाजी का पूर्व में भी विशेष ख्याल रखा जाता था! किन्तु खर्च एक सीमा तक ही किये जाते थे! परन्तु वर्त्तमान में शादियों में खर्च बढ़ा है, उतने ही रिश्तो की स्थिरता समाप्त सी हो गयी है इन दिनों शादियों में खर्च करने की होड़ सी लगी है!सगाई के कार्यक्रम से ही खर्चे प्रारम्भ हो जाते है! महंगे निमत्रण पत्र, निमंत्रण पत्र के साथ गिफ्ट, काकटेल पार्टी, बेचलर पार्टी और शादी पार्टी में रु.पानी की तरह बहाए जाने लगे है! हालीवुड, बालीवुड एक्ट्रेश,महंगे होटलों के आयोजन, महंगे डांस ग्रुप ने शादियों के खर्च को बेलगाम कर दिया है!आदर सत्कार तो उन दिनों भी होता था जब इस तरह के दिखावे नहीं थे! अतिथि के मुख्य द्वार पर आगमन से लेकर भोजन कराने तक अतिथियों का पूरा ख्याल रखा जाता था! ऐसे में यदि शादी के पश्चात रिश्तो में दरार भी आती थी तो पूरा समाज एक साथ खड़े होकर टूटते  रिश्तो को बचाने का प्रयाश करता था!महंगी शादियों में टूटते रिश्तो को बचाने वाला कोई नहीं होता !
जरा सोचिये इतनी महँगी शादियों से क्या मिलता है, छणिक ख़ुशी के लिए लाखो करोडो  खर्च करना क्या उचित  है! क्या इन महँगी शादियों पर कोई लगाम  नहीं लगाई जा सकती !शाही शादियों के स्थान पर क्या हम पारिवारिक व आदर सत्कार वाली शादियों का चलन  प्रारम्भ नहीं कर सकते !

रविवार, 21 नवंबर 2010

पिछले कई दिनों से व्यस्तता रही गुरुनानक जयंती का पर्व और कुछ अन्य कारणों से कुछ नया नहीं लिख पाया!जब मे 10th class में था उन दिनों एक कविता मैंने लिखी थी!हो सकता है आपको पसंद ना आये थोड़ी साधारण है मन के भाव थे जिसे मैंने साधारण शब्दों में ढाला था!इस बार वह प्रस्तुत कर रहा हु!

 अक्सर,
वह अपने भवन की छत पर खड़ी,
रोज मुझे निहारती है!
समय की घड़िया,
यु ही बीत जाती है!
घंटो से दिन,
दिन से सप्ताह ,
सप्ताह से महीने,
और महीने से साल बीते,
आज भी वह अपने भवन छत पर खड़ी है!
निहार रही है मुझे,
मे भी उसकी और देख रहा हु,
इस आस के साथ की,
वह आज कुछ बोलेगी,
दिल में छुपे राज खोलेगी,
परन्तु अफ़सोस ,
रोज ही की तरह ,
सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम हो गयी,
दिल की बात दिल में ही रह गयी,
किन्तु एक आस छोड़ गयी!
की कल फिर वह छत पर आएगी,
मुझसे नजरे मिलाएगी !
मे भी उसकी और देखूंगा,
इस आस के साथ की वह आज कुछ बोलेगी,
वर्षो छुपे दिल के राज खोलेगी !!

शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

उफ़ ये रियेलिटी शो

आजकल छोटे परदे पर रियेलिटी शो की बाढ़ सी आ गयी है, और ये अपने नित नए कारनामो की वजह से चर्चा भी बटोर रहे है! कारनामे भी देखिये एक से बढ़कर एक, कही छोटे परदे की न्यायधीश राखी सावंत लोगो के झगडे निपटा रही है, तो कही बिग बॉस शादी ब्याह कराने का काम कर रहे है, कोई चैनल करोडपति बना रहा है!
क्या राखी का इंसाफ ,राखी का स्वंयवर, राहुल का स्वयंवर, द परफेक्ट ब्राइड, इस जंगल से मुझे बचाओ,सच का सामना और कामेडी शो के नाम पर जो संस्कार घर घर में प्रस्तुत किये जा रहे है क्या उन पर कोई लगाम नहीं लगाई जा सकती क्या बड़े परदे की तरह छोटे परदे के लिए भी कोई सेंसर बोर्ड नहीं बनाया जा सकता! प्रतिज्ञा, पवित्र रिश्ता, तेरे लिए, साथिया जैसे सीरियल कुछ समय तक तो सही दिशा में चले पर सीरियल बनाने वालो ने इसे लम्बा खीचने के लिए ऐसे ऐसे कारनामे प्रारम्भ किये की उनसे प्रेरित होकर घर घर में स्त्री पुरुष के रिश्तो में दरार उत्पन्न होने लगी! अब राखी सावंत को ही लीजिये उसके बोलने का ढंग कपडे पहनने का तरीका निम्न स्तरीय है वह छोटे परदे पर न्यायधीश बन फैसले कर रही है! हद तो तब हो गयी जब उसने शो उपस्थित एक व्यक्ति को नामर्द कह दिया! इस शर्मनाक वाक्ये से उस व्यक्ति ने ख़ुदकुशी कर ली! बिग बॉस में सारा खान के विवाह को प्रचारित कर सुर्खिया बटोरी, तो पाकिस्तानी कलाकार के टावेल सरकने को लेकर TRP बढाई गयी! ऐसे ऐसे विवादित लोगो को सेलिब्रिटी बनाया जाता है जिससे की ज्यादा से ज्यादा शुर्खिया बटोरी जा सके! आतंकवादी कसाब की पैरवी करने वाले वकील, आतंकवादी हेडली से सम्पर्क रखने वाल व्यक्ति, राहुल महाजन जैसे लोगो को हमारे चैनलों ने सेलिब्रिटी बना दिया! लाफ्टर शो में जिस तरह के फूहड़ किस्से सुनाये जाते है वह तो अश्लीलता की सभी सीमाए पार कर चूका है! ऐसे में छोटे परदे के दर्शक देखे तो क्या देखे! समाचार चैनल भी इन रियेलिटी शो की TRP बढ़ाने में सहायक हो रहे है तभी तो समाचारों के बीच बीच में लगभग सभी समाचार चैनल इन विवादित अंशो को दिखाकर कही न कही सहयोग कर रहे है! खैर यह सब तो चलता रहेगा, आगे देखते है की आने वाले समय में ये चैनल क्या नया कारनामा करते है ................... 

सोमवार, 8 नवंबर 2010

क्या मिला भारत को..............

दुनिया के सबसे बड़े ताकतवर देश के मुखिया हिंदुस्तान की यात्रा कर लौट गए! इन तीन दिनों में बहुत व्यस्तता रही वैसे तो सभी अपने अपने स्तर पर व्यस्त रहे कोई अगवानी को लेकर, कोई भोज के कार्यक्रम को लेकर, कुछ स्कूली बच्चे मिलने को लेकर और मिडिया वाले पहले खबर पहुचाने को लेकर और इन सभी के बिच हम भी कही न कही व्यस्त रहे !
बराक ओबामा ने अमेरिका से भारत रवानगी से पूर्व कहा था की मे 50 ,000 अमेरिकियों की नौकरी की तलाश में भारत जा रहा हु और भारत आते ही पहला कार्य उन्होंने वही किया भारतीय और अमेरिका कम्पनियों के बीच करीब 10 अरब डालर (44 हजार करोड़ रु.) की डील के पूरा होने पर अमेरिका 50 ,000 से ज्यादा नौकरी पैदा होगी परन्तु भारत के युवा बेरोजगारों को क्या मिलेगा इस बात की चिंता किसे नहीं है! अमेरिका ने एक तरकश से कई तीर चलाये जिससे एशिया चीन पाकिस्तान सहित कई देशो को चिंता में डाल दिया परन्तु भारतीयों को क्या मिला आश्वासन अमेरिका अपने निर्यात कानून में सुधार के लिए कदम उठाएगा, वीसा शुल्क में वृद्धि पर भारतीय आईटी उधोग जगत को सांत्वना, पाकिस्तान के आतंकी शिविरों पर रोक का आश्वासन! हम भारतीय खुश भी बहुत हुए मिसेल ओबामा के बिल्लस खेलने को लेकर, ओबामा दम्पतियों के स्कूली बच्चो के साथ नृत्य को लेकर और सबसे बढ़कर बराक ओबामा के स्पीच को लेकर जिसमे उन्होंने महात्मा गाँधी ,स्वामी विवेकानंद, डॉ. आंबेडकर के साथ पचत्न्त्र ,शून्य का अविष्कार सहित भारतीय अर्थव्यवस्था की तारीफ और अंत में जय हिंद कहकर! भारतीय तो इस संबोधन पर गदगद हो गए कुल मिलाकर  हम प्रसन्न है इसलिए क्योकि एक बड़ी महाशक्ति ने हमें अपने साथ खड़ा किया, हमसे मदद मांगी और हमने वो सब दिया जो उसने हमसे माँगा! हा हमने भी माँगा और हमें मिला भी आश्वासन बहुत सारी बातो का और हम अगले कई साल तक इस उम्मीद में खुश भी रहेंगे रहा सवाल पाकिस्तान का उसकी दादागिरी का तो हमने भी शिकायत कर दी अमेरिका से और अमेरिका ने उसे डाटने का आश्वासन भी दिया! एक बात सबसे अच्छी लगी अमेरिका के सम्मान में पहली बार वामपंथियों का नजरिया!
चलिए किसे क्या मिला ये तो अपने अपने सोच की बात है आमिर खान खुश है की ओबामा उन्हें पहचानते है और उनकी पिक्चरे भी देखते है हम तो खुश है न्यूज चैनलों में बराक ओबामा के एयरफ़ोर्स वन को देखकर उनके 6 मंजिला विमान को देखकर जिसमे दुनिया की तमाम सुविधाए है!! चलिए अब कुछ दिन थकान उतारी जाय...................   

गुरुवार, 4 नवंबर 2010

नेताओ के लिए परीक्षा क्यों नहीं

कलेक्टर, कमिश्नर, दरोगा,  इंजिनियर, डाक्टर, बैंककर्मी या अन्य संस्था का बाबु बनना है तो परीक्षा देनी पड़ती है यहाँ तक की स्कूल का शिक्षा कर्मी बनना है तो भी परीक्षा अब तो वकील बनाने और phd की डिग्री पाने के लिए भी अब परीक्षाओ से गुजरना होगा परन्तु यह क्या जो राजनेता पुरे राज्य या देश को चलाते है उनके लिए शिक्षित होना क्यों नहीं अनिवार्य है क्यों एक अनपद या कम पड़ा लिखा व्यक्ति या सजायाफ्ता अथवा जिस पर भ्रष्टाचार या देशद्रोह जैसे मामले चलने चाहिए अपने धनबल बाहुबल के बल पार पांच साल में होने वाले चुनाव में प्रत्याशी बन कर विजयश्री प्राप्त कर लेता है! हद तो तब हो जाती है जब इन नेताओ की सुरक्षा व तीमारदारी में ऐसे लोगो को लगाया जाता है जो की शिक्षित होने के साथ साथ योग्यता में बहुत ऊपर होते है! बगैर शिक्षा के या मनुष्य के बगैर शिक्षित हुए बिना कोई भी राष्ट्र अपना विकाश नहीं कर सकता अब आप ही सोचिये की जिनके कंधो पर पुरे राष्ट्र का भविष्य है ऐसे जन नेता अशिक्षित  या अंगूठा छाप हो तो देश का क्या होगा. और ये अशिक्षित नेता या मंत्री बनकर बड़े बड़े उच्च शिक्षित व्यक्तियों को झुकाता है यदि अपनी सेवा भावना से ये शिक्षित वर्ग नतमस्तक होता है तो ठीक वरना उनकी खैर नहीं! पता नहीं शिक्षा के महत्व को संविधान बनाने वालो ने राष्ट्र की प्रगति के लिए मिल का पत्थर तो माना परन्तु नेताओ को उससे पूरी छुट दे दी! तर्क यह दिया जाता है की प्रजातंत्र में किसी का संविधानिक हक़ नहीं मारा जा सकता! एक अशिक्षित या गंवार भी यदि जनता का विश्वास अर्जित कर लेता है तो देश का राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री हो सकता है उसके लिए किसी प्रकार की कोई स्पर्धा या प्रतियोगी परीक्षा नहीं होती एकमात्र चुनाव ही उसका मापदंड है जो उन्हें राष्ट्र के सर्वोच्च शिखर तक पहुचता है हम यदि थोडा सा विचार करे की एक नेता जो साक्षर भी नहीं है जोड़ तोड़ से विधि मंत्री बन जाता है शिक्षा मंत्री बन जाता है जिसने कभी खेल मैदान देखा भी नहीं है खेल मंत्री बन जाता है अब आप ही सोचिये ऐसे में उस विभाग का क्या होगा प्रजातंत्र में जब जनता ही सर्वोपरि है और ऐसी जनता के लिए अनेक बंदिशे लगे जा सकती है तो इन नेताओ के लिए क्यों नहीं क्यों इन्हें किसी बंधन में नहीं बंधा जा सकता.............................