बुधवार, 31 अगस्त 2011

फेसबुक के दिवानों का पहला गेट टू गेदर....

फेसबुक के दिवानों ने अपना पहला गेट टू गेदर का कार्यक्रम आयोजित किया।   छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में संपन्न गेट टुगेदर के इस आयोजन में रायपुर सहित नागपुर कोरबा बिलासपुर राजनांदगाव चिरमिरी के फेस्बुकियो और ब्लागरो  ने हिस्सा लिया। पत्रकार जगत से जुडी बडी हस्तियों ने फेसबुक से बाहर निकलकर एक दूसरे के विचारों को जाना। इस अवसर पर गीत संगीत के माध्यम से फेसबुक बडीज ने खूब इंजॉय भी किया।

http://youtu.be/KHWVyjn171I























मंगलवार, 30 अगस्त 2011

फेसबुक के दिवानों का पहला गेट टू गेदर....

फेसबुक के दिवानों ने अपना पहला गेट टू गेदर का कार्यक्रम आयोजित किया। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजीत इस आयोजन में राजनांदगाव चिरमिरी कोरबा बिलासपुर सहित नागपुर  के ब्लागर ने हिस्सा लिया। पत्रकार जगत से जुडी बडी हस्तियों ने फेसबुक से बाहर निकलकर एक दूसरे के विचारों को जाना। इस अवसर पर गीत संगीत के माध्यम से फेसबुक बडीज ने खूब इंजॉय भी किया।
क्यों रखू मै अब अपनी कलम में स्याही ...
जब कोई अरमान दिल में मचलता ही नहीं ..
न जाने क्यों सभी शक करते है मुझपे ..
जब कोई सुखा फुल मेरी किताब में मिलता ही नहीं..
कशीश तो बहुत थी मेरे प्यार में मगर ..
क्या करू किस्मत से ज्यादा किसी को मिलता ही नहीं ..
अगर खुदा मिले तो उससे अपना प्यार मांग लू..
पर सुना है वह मरने से पहले किसी से मिलते ही नहीं.............

शनिवार, 20 अगस्त 2011

NGO को क्यों नहीं रखा जा रहा है लोकपाल के दायरे में..

 
NGO को क्यों नहीं रखा जा रहा है लोकपाल के दायरे में..
रामलीला मैदान में हुई प्रेस कांफ्रेंस में अरविन्द केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने साफ़ और स्पष्ट जवाब देते हुए लोकपाल बिल के दायरे में NGO को भी शामिल किये जाने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है. विशेषकर जो NGO सरकार से पैसा नहीं... लेते हैं उनको किसी भी कीमत में शामिल नहीं करने का एलान भी किया. ग्राम प्रधान से लेकर देश के प्रधान तक सभी को लोकपाल बिल के दायरे में लाने की जबरदस्ती और जिद्द पर अड़ी अन्ना टीम NGO को इस दायरे में लाने के खिलाफ शायद इसलिए है, क्योंकि अरविन्द केजरीवालनाम पर करोड़ो रुपये का चंदा विदेशों से ही मिलता है.इन दिनों पूरे देश को ईमानदारी और पारदर्शिता का पाठ पढ़ा रही ये टीम अब लोकपाल बिल के दायरे में खुद आने से क्यों डर/भाग रही है.भाई वाह...!!! क्या गज़ब की ईमानदारी है...!!भारत सरकार के Ministry of Home Affairs के Foreigners Division की FCRA Wing के दस्तावेजों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2008-09 तक देश में कार्यरत ऐसे NGO's की संख्या 20088 थी, जिन्हें विदेशी सहायता प्राप्त करने की अनुमति भारत सरकार द्वारा प्रदान की जा चुकी थी.इन्हीं दस्तावेजों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2006-07, 2007-08, 2008-09 के दौरान इन NGO's को विदेशी सहायता के रुप में 31473.56 करोड़ रुपये प्राप्त हुये. इसके अतिरिक्त देश में लगभग 33 लाख NGO's कार्यरत है.इनमें से अधिकांश NGO भ्रष्ट राजनेताओं, भ्रष्ट नौकरशाहों, भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों, भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों के परिजनों,परिचितों और उनके दलालों के है. केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों के अतिरिक्त देश के सभी राज्यों की सरकारों द्वारा जन कल्याण हेतु इन NGO's को आर्थिक मदद दी जाती है.एक अनुमान के अनुसार इन NGO's को प्रतिवर्ष न्यूनतम लगभग 50,000.00 करोड़ रुपये देशी विदेशी सहायता के रुप में प्राप्त होते हैं.
इसका सीधा मतलब यह है की पिछले एक दशक में इन NGO's को 5-6 लाख करोड़ की आर्थिक मदद मिली. ताज्जुब की बात यह है की इतनी बड़ी रकम कब.? कहा.? कैसे.? और किस पर.? खर्च कर दी गई. इसकी कोई जानकारी उस जनता को नहीं दी जाती जिसके कल्याण के लिये, जिसके उत्थान के लिये विदेशी संस्थानों और देश की सरकारों द्वारा इन NGO's को आर्थिक मदद दी जाती है. इसका विवरण केवल भ्रष्ट NGO संचालकों, भ्रष्ट नेताओ, भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों, भ्रष्ट बाबुओं, की जेबों तक सिमट कर रह जाता है.
भौतिक रूप से इस रकम का इस्तेमाल कहीं नज़र नहीं आता. NGO's को मिलने वाली इतनी बड़ी सहायता राशि की प्राप्ति एवं उसके उपयोग की प्रक्रिया बिल्कुल भी पारदर्शी नही है. देश के गरीबों, मजबूरों, मजदूरों, शोषितों, दलितों, अनाथ बच्चो के उत्थान के नाम पर विदेशी संस्थानों और देश में केन्द्र एवं राज्य सरकारों के विभिन्न सरकारी विभागों से जनता की गाढ़ी कमाई के दसियों हज़ार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष लूट लेने वाले NGO's की कोई जवाबदेही तय नहीं है. उनके द्वारा जनता के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई के भयंकर दुरुपयोग की चौकसी एवं जांच पड़ताल तथा उन्हें कठोर दंड दिए जाने का कोई विशेष प्रावधान नहीं है.
लोकपाल बिल कमेटी में शामिल सिविल सोसायटी के उन सदस्यों ने जो खुद को सबसे बड़ा ईमानदार कहते हैं और जो स्वयम तथा उनके साथ देशभर में india against corruption की मुहिम चलाने वाले उनके अधिकांश साथी सहयोगी NGO's भी चलाते है लेकिन उन्होंने आजतक जनता के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई के दसियों हज़ार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष लूट लेने वाले NGO's के खिलाफ आश्चार्यजनक रूप से एक शब्द नहीं बोला है, NGO's को लोकपाल बिल के दायरे में लाने की बात तक नहीं की है.
इसलिए यह आवश्यक है की NGO's को विदेशी संस्थानों और देश में

अन्ना जी ये देश द्रोही आपके साथ क्या कर रहे है....

अन्ना जी ये देश द्रोही आपके साथ क्या कर रहे है....
1 शांति भूषण ........1993 मुंबई बम आतंकवादी विस्फोट के आरोपी शौकत गुरू और संसद हमले में दोषी अफजल के मृत्युदंड के खिलाफ मामले लड़े....
2 प्रशांत भूषण ..........कश्मीर की स्थिति के लिए भारतीय सेना को दोषी ठहराने वाले और भारतीय सेना के खिलाफ हमेंसा खड़े होने वाले साथ ही अफजल के मृत्युदंड के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने वाले ...
3 स्वामी अग्निवेश .........समर्थक नक्सलवाद और कश्मीर में अलगाववाद के लिए लड़ने वाले गिलानी यासीन मलिक के समर्थक ...अमरनाथ यात्रा को पाखंड कहने वाले .....
4 संदीप पांडे ...........सदस्य अफजल गुरु को न्याय दिलाने के लिए बनी समिति के सदस्य.........
5 मेघा पाटकर व अरुंधती राय ........दोनों ही कश्मीर के अलगाववादियों के समर्थन में सुर में सुर मिलाने वाले ......
हो सकता है की मेरे इस सन्देश से लोगो को आपत्ति हो हो सकता है की आप इसे उचित भी न माने .........क्यों पिछली बार जब अन्ना जी अनशन में बैठे थे उस समय केजरीवाल और अग्निवेश ने भारत माँ के चित्र पर आपत्ति की थी ...क्यों इस बार मंच पर लगे चित्र में से भारत माँ के चित्र के साथ सुभाष चन्द्र बोश ,भगत सिंह ,रानी लक्ष्मी बाई व विवेकानंद के चित्र गायब है ...
एक बार अवश्य सोचे की कही हम भी अन्य लोगो की ही देखा देखी हाथो में तिरंगा लिए निकल पड़े है यक़ीनन भ्रष्टाचार के खिलाफ सभी के मन में आक्रोश है लेकिन दोस्तों कही इसी बहाने देशद्रोहियों के हाथ तो हम मजबूत तो नहीं कर रहे है..............