बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

एक चिंताग्रस्त महिला डोक्टर के पास जाती है: 'डॉक्टर, मुझे एक प्रॉब्लम है, और आपकी मदद चाहिए! मेरा बच्चा अभी एक साल का भी नहीं हुआ और मै फिरसे pregnant हूँ. I don't want kids so close together.

तब डोक्टर पूछता है: 'ठीक है, तो मै क्या कर सकता हूँ आपके लिए?'

महिला: 'मै चाहती हूँ के आप मेरी प्रेगनेंसी रोक दो.. मै आपकी शुक्रगुज़ार रहूंगी.'

डोक्टर ने थोड़ी देर सोचा और कुछ देर शांत रहने के बाद उसने महिला से कहा: 'मेरेपास इस से अच्छा solution है आपकी प्रॉब्लम के लिए. जिसमे आपको खतरा भी कम है.'

वो मुस्कुराई, उसे लगा के डोक्टर उसका काम कर ही देगा अब.

डोक्टर बोला: "देखो जैसे तुमने कहा की तुम एक समय पर दो बच्चो की देखभाल नहीं कर सकती, तो वही बच्चा मार देते है जो अभी तुम्हारे पास है. इस तरह तुम्हे  दूसरा बच्चा पैदा होने से पहले 
आराम और वक्त भी मिल जायेगा. अगर हमें दोनों में से किसी को मारना ही है तो क्या फर्क पड़ता है 'पहला या दूसरा' से."

महिला थोड़ी घबराई और बोली: "नहीं डोक्टर, कितना भयानक है ऐसा करना.'I agree',"

डोक्टर बोला. "लेकिन तुम तोह कुछ ऐसे ही कह रही थी, इसलिए मैंने सोचा की यही बेहतर उपाय होगा."

डोक्टर हसा, उसने उसकी बात समझा दी थी. उसने उस माँ को इस बात से सहमत कराया था की , "पैदा बच्चे को मरना और पैदा होनेवाले बच्चे को मरना इसमें कोई फर्क नहीं है. The crime is the same!

अगर आप इस बात से सहमत है तो please SHARE करे.

हम सब मिल कर कई महत्वपूर्ण जिन्दगिया बचा सकते है!

अंत में "प्यार माने खुदकी ज़िन्दगी दुसरो के हित के लिए sacrifice करना"

Abortion माने किसी और की ज़िन्दगी अपने हित के लिए sacrifice करना..

बुधवार, 5 अक्तूबर 2011

garba ..........





चारो तरफ नवरात्र का भक्तिमय माहौल है...कही पर भक्ति से परिपूर्ण माता के जगराते हो रहे है तो कही भक्तो के लिए भंडारे चल रहे है ....ऐसे में नवरात्र में एक स्थान और है जहा logo का हुजूम खासकर युवक और नवयुवतियो का लगता है जहा देर रात कही कही तो सुबह होते होते तक भक्ति में डूबे भक्त नजर आते है वह स्थान है गरबा ....माता की स्तुति लिए भक्त जन देर रात तक भक्ति में थिरकते नजर आते है...लेकिन पिछले कुछ वर्षो से गरबा कहे या डांडिया इसके स्वरूप में बहुत बदलाव सा आया  है जहा पारम्परिक वाद्य यंत्रो ढोल की जगह DJ और भारी भरकम साउंड ने ले ली है वही अब इस भक्ति और आराधना की जगह व्यवसायिकता ने अपने पैर पसार लिए है जंहा महंगे सेलिब्रिटी बुलाये जाते है माता की तस्वीर एक किनारे रख दी जाती है जिस ओर किसी का भी ध्यान नहीं जाता  देर रात तक टीन एजर्स लड़के लडकिया घरो से बहार रहती है और तो और कही कही पर तो माता पिता को ही नहीं पता होता की उनकी लड़की किस गरबे में है..और किसके साथ है पिछले कुछ वर्षो में गरबे में आये इस परिवर्तन और आधुनिकता को लेकर प्रसिद्ध पत्रिका इंडिया टुडे ने गुजरात में एक सर्वे करवाया था जिसमे चौकाने वाले तथ्य सामने आये थे ....जो की शर्मनाक है...प्रसिद्ध समाचार एजेंसी में छपी खबर को यहाँ ज्यो का त्यों आपके सामने रखा जा रहा है..As garba season sizzles, condom sales hot up
Published: Monday, Oct 6, 2008, 4:01 IST .....
AHMEDABAD: A sure indication that the garba season is beginning to simmer is Ahmedabad pharmacists’ estimate that the sale of condoms and contraceptives has 
increased by up to 25%.
According to the Ahmedabad Chemists Association, the figure is consistent with the past Navaratri trends. Usually, the sale of emergency contraceptive pills and 
condoms rise by 20-25% during the festival.
According to an Ahmedabad-based psychiatrist, Dr. Mrugesh Vaishnav, young people enjoy a degree of personal freedom during Navaratri that is rarely granted to them at other times. The slackening of parental rules and supervision allows some of the youth to explore intimacy with the opposite sex. “Young people are excited by the festive mood and as a result, moral barriers are broken,” Vaishnav said. “It can also be viewed as an act of defiance against social norms.”
Amid the raging twirl of hormones, which is viewed with disdain in many quarters, there lies some reassuring news: boys and girls revelling in unmonitored liberty are at least aware of the risks, especially Aids.  कृपया इस पर विचार करे भक्तिमय और श्रद्धा के इस पर्व में इस तरह की विकृतियों को दूर करने में सहायक बने तभी सच्चे अर्थो में हमारी शक्ति की देवी के प्रति सच्ची आराधना होगी... 

रविवार, 2 अक्तूबर 2011

तेरा क्या होगा जनता....................


  1. चिदम्बरम प्रणय मुखर्जी में सुलह हो गई पुरे देश ने राहत की सांस ली ...ऐसे जैसे देश की सारी समस्याए ही ख़त्म हो गयी ....कभी कभी लगता है की मिडिया ने इस देश को उस बच्चे जैसा बना दिया है जिसे कोई चाकलेट या कोई खिलौना देकर बहलाया जा सकता है ....हाल ही में जब पूरा देश भ्रस्टाचार , आतंकवाद , नक्सलवाद , विदेशो में जमा कला धन जैसे मुद्दों से जूझ रहा था , महंगाई देश के आम नागरिको की कमर तोड़ रही थी ऐसे में प्रायोजित मिडिया ने एक आन्दोलन खड़ा किया अन्ना टीम का आन्दोलन ...ऐसे लगने लगा की अब इस आन्दोलन से पुरे देश की समस्या इस बार तो खत्म हो ही जाएगी ....आजादी की दूसरी लड़ाई का इसे नाम दिया गया ...क्या महिलाये क्या बच्चे क्या बुजुर्ग क्या युवा सभी इस आन्दोलन में कूद पड़े..युवतिया अपने गालो में तिरंगे के टेटू बनवाकर निकल पड़ी पुरे देश में एक उत्सव सा माहौल बन गया ....लगा की अब ये बिल पास होकर ही रहेगा...इस आन्दोलन से दिल्ली की शीला दीक्षित और पी. चिदम्बरम जो की भ्रष्टाचार की भेट चढ़ने वाले थे बच गए ...देश में काला धन वापस लाने की मुहीम ढंडी पढ़ गयी..लोकसभा राज्य सभा में देर रात तक बहस हुई इस प्रायोजित नौटंकी को मिडिया ने खूब दिखाया ....फायदे में रहे अन्ना टीम के केजरीवाल प्रशांत भूषण मनीष सिसोदिया जैसे लोग या फिर फायदा मिला तो कांग्रेस को बेवकूफ बनी तो सिर्फ और सिर्फ इस देश की जनता ....क्या हुआ बिल का किसी को नहीं मालूम सब के सब ढंडे पढ़ गए अन्ना रालेगाओ चले गए टीम अन्ना के लोग भटक गए अब नेतागिरी करे तो कहा करे..प्रशांत भूषण ने कश्मीर को अलग करने जनमत सर्वेक्षण करवाने और सेना वापस बुलाने की वकालत करनी शुरू कर दी मेघा पटाकर ने नक्सलियों के सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया..बच गए केजरीवाल तो वे बिग बॉस के सेलीब्रिटी बननेके जुगाड़ में लग गए...ऐसे में बेचारे अन्ना ने भी चुनाव लड़ाने की बात कह डाली जो कल तक राजनीती को गन्दी दलदल कहते थे जिन्होंने हमेसा इस बात का विरोध किया ..चुनाव प्रणाली पर प्रश्न खड़े किये .. कभी भी जनप्रतिनिधियों के माध्यम से देश में सुधार के पक्षधर कभी नहीं रहे .. यह परिवर्तन कोई आश्चर्य का विषय नहीं है... लेकिन प्रश्न यह है की शोले फिल्म की ही तरह ये डायलाग की "तेरा क्या होगा जनता" ....लेकिन इतना तो है की जनता भी जानती है की उसका भला नहीं होने वाला....

मंगलवार, 27 सितंबर 2011

भगत सिंह ............


  • आज ही के दिन एक सौ चार वर्ष पूर्व पहले अविभाजित हिंदुस्तान के लायलपुर जिले बंगा (जो की अब पाकिस्तान में है) की भूमि पर ऐसी सख्शियत ने जन्म लिया था, जो इस दुनिया में महज 23 वर्ष 5 माह 27 दिन रहने के बाद अपने वतन की आजादी के लिए गर्व से फांसी पर हसते हसते झूल गए और जो इस दृश्य को देखने के लिए मजबूर थे, वे रो पड़े ..इस अमर शहीद को सारी दुनिया में भगत सिंह के नाम से जाना जाता है.. भगत सिंह उल्का पिंड की तरह भारतीय क्षितिज पर अवतरित हुए थे ..अपनी शहादत से पहले वे हर देशवासी के मन में चेतना और आकंछाओ के प्रतीक बन चुके थे .उन्होंने लोगो को ये बताया की शोषण और जुल्म करने वालो में देशी और विदेशी का अंतर बेमानी होता है ..आज अंग्रेज नहीं है लेकिन देश में लुटेरे है जो देश को लुट रहे है..भगत सिंह ने देश से प्रेम किया समाज को बदलना चाहा घर परिवार को समाज का अंग जानकर समाज आजाद और बेहतर बनाना चाहा ..ये युवा मन का आत्मस्वाभिमान ही तो था .. इस देश की आजादी के लिए अंग्रेजो के मन में भय पैदा किया तो इसी महानायक की शेर दिली थी जिसने 8 अप्रेल 1929 को सेन्ट्रल असेम्बली में धमाका कर अंग्रेजो सहित अंग्रेजो की खिलाफत करने वाले हर देश को ये सन्देश दिया था की अंग्रेजो के हौसले भी पस्त किये जा सकते है, बशर्ते धमाका करने के लिए एकता और साहस हो ..उस घटना का जिक्र भी जरूरी है जिसके चलते वे और भी मजबूत होकर अंग्रेजो के खिलाफ खड़े होने का साहस करते गए. अस्सेम्बली मे बम धमाके के बाद भगत सिंह चाहते तो वहा से भाग सकते थे पर उन्होंने सबके सामने इन्कलाब जिंदाबाद और भारत माता की जय का उदघोष करते हुए अपनी गिरफ्तारी दी. जेल मे रहने के दौरान भगत सिंह के सब्र और साहस के साथ साथ आत्म आंकलन का भी कड़ा परिक्षण हुआ अंग्रेजो ने इस दौरान भगत सिंह और उनके साथियो को तरह तरह के प्रलोभन भी दिए और जब वे नहीं माने तब मानवता की सारी सीमायें लांघते हुए उन्हें बहुत बुरी तरह से प्रताड़ित किया लेकिन वह भगत सिंह थे जिनका शारीर और आत्मा दोनों फौलाद के बने थे जो अंग्रेजो के कठोर से कठोर यातनाओं के सामने नहीं टूटे इस दौरान भगत सिंह ने जेल मे कैदियों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार को भी देखा जानवरों से भी बदतर दिए जाने वाले भोजन के विरोध मे उन्होंने अपने साथियो के साथ अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल कर दी जो लगातार 117 दिन चली और आखिर क़र इस भूख हड़ताल के सामने ब्रिटिश शासन को झुकना पड़ा और इस आजादी के मतवाले की जीत हुई --------भगत सिंह की बदती लोकप्रियता से अंग्रेजी हुकूमत घबराने लगी और उन्हें जब लगने लगा भगत सिंह झुकने वालो मे से नहीं है और ज्यादा दिन तक उन्हें जेल मे रखना अंग्रेजी हुकूमत के लिए खतरनाक साबित हो सकता था तो उन्होंने एकतरफा निर्णय करते भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु को 24 मार्च 1931 को फांसी दिए जाने की सजा सुना दी. भगत सिंह और उनके साथियों की फांसी को लेकर जहा देश भर मे विरोध प्रदर्शन हुए वही महात्मा गाँधी पर भी भगत सिंह को न बचाने के आरोप लगे इतिहासकार लिखते है की अगर उन दिनों महात्मा गांधी चाहते तो भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु की फांसी की सजा रोकी जा सकती थी -------- अंग्रेजी हुकूमत शंकित थी की कही फांसी वाले दिन देश मे किसी तरह अप्रिय स्थिति न हो जिससे अंग्रेजी हुकूमत डर गयी और उन्होंने 23 मार्च की रात्रि को ही गुपचुप तरीके से भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी.
  • भगत सिंह की शहादत वर्तमान परिवेश मे प्रासंगिक है आज देश मे भ्रष्टाचार, आंतकवाद, नक्सलवाद और अलगाववाद अपनी जड़े जमा चूका है राजनेताओं का नैतिक चरित्र लगभग समाप्त सा हो चूका है केंद्र मे जो सरकार है उसके बहुत से मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप मे जेलों मे बंद है और बहुत से ऐसे है जो अभी कतार मे है आम जनता की परेशानियों से सरकार को जैसे कोई लेना देना ही न हो ,हमारी विदश नीति कमजोर है भगत सिंह ने जिस आत्म स्वाभिमान की लड़ाई लड़ी वह इन नेताओ ने भुला दी है ऐसे मे भगत सिंह के आदर्शो पर चल कर यदि राज नेता और आम नागरिक कुछ सबक लेते है तो सच्चे मन से ऐसा राष्ट्र भक्त को हम सभी की ओर श्रद्धा सुमन अर्पित है ............................... ऐसे वीर सपूत को नमन है

बुधवार, 31 अगस्त 2011

फेसबुक के दिवानों का पहला गेट टू गेदर....

फेसबुक के दिवानों ने अपना पहला गेट टू गेदर का कार्यक्रम आयोजित किया।   छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में संपन्न गेट टुगेदर के इस आयोजन में रायपुर सहित नागपुर कोरबा बिलासपुर राजनांदगाव चिरमिरी के फेस्बुकियो और ब्लागरो  ने हिस्सा लिया। पत्रकार जगत से जुडी बडी हस्तियों ने फेसबुक से बाहर निकलकर एक दूसरे के विचारों को जाना। इस अवसर पर गीत संगीत के माध्यम से फेसबुक बडीज ने खूब इंजॉय भी किया।

http://youtu.be/KHWVyjn171I























मंगलवार, 30 अगस्त 2011

फेसबुक के दिवानों का पहला गेट टू गेदर....

फेसबुक के दिवानों ने अपना पहला गेट टू गेदर का कार्यक्रम आयोजित किया। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजीत इस आयोजन में राजनांदगाव चिरमिरी कोरबा बिलासपुर सहित नागपुर  के ब्लागर ने हिस्सा लिया। पत्रकार जगत से जुडी बडी हस्तियों ने फेसबुक से बाहर निकलकर एक दूसरे के विचारों को जाना। इस अवसर पर गीत संगीत के माध्यम से फेसबुक बडीज ने खूब इंजॉय भी किया।
क्यों रखू मै अब अपनी कलम में स्याही ...
जब कोई अरमान दिल में मचलता ही नहीं ..
न जाने क्यों सभी शक करते है मुझपे ..
जब कोई सुखा फुल मेरी किताब में मिलता ही नहीं..
कशीश तो बहुत थी मेरे प्यार में मगर ..
क्या करू किस्मत से ज्यादा किसी को मिलता ही नहीं ..
अगर खुदा मिले तो उससे अपना प्यार मांग लू..
पर सुना है वह मरने से पहले किसी से मिलते ही नहीं.............

शनिवार, 20 अगस्त 2011

NGO को क्यों नहीं रखा जा रहा है लोकपाल के दायरे में..

 
NGO को क्यों नहीं रखा जा रहा है लोकपाल के दायरे में..
रामलीला मैदान में हुई प्रेस कांफ्रेंस में अरविन्द केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने साफ़ और स्पष्ट जवाब देते हुए लोकपाल बिल के दायरे में NGO को भी शामिल किये जाने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है. विशेषकर जो NGO सरकार से पैसा नहीं... लेते हैं उनको किसी भी कीमत में शामिल नहीं करने का एलान भी किया. ग्राम प्रधान से लेकर देश के प्रधान तक सभी को लोकपाल बिल के दायरे में लाने की जबरदस्ती और जिद्द पर अड़ी अन्ना टीम NGO को इस दायरे में लाने के खिलाफ शायद इसलिए है, क्योंकि अरविन्द केजरीवालनाम पर करोड़ो रुपये का चंदा विदेशों से ही मिलता है.इन दिनों पूरे देश को ईमानदारी और पारदर्शिता का पाठ पढ़ा रही ये टीम अब लोकपाल बिल के दायरे में खुद आने से क्यों डर/भाग रही है.भाई वाह...!!! क्या गज़ब की ईमानदारी है...!!भारत सरकार के Ministry of Home Affairs के Foreigners Division की FCRA Wing के दस्तावेजों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2008-09 तक देश में कार्यरत ऐसे NGO's की संख्या 20088 थी, जिन्हें विदेशी सहायता प्राप्त करने की अनुमति भारत सरकार द्वारा प्रदान की जा चुकी थी.इन्हीं दस्तावेजों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2006-07, 2007-08, 2008-09 के दौरान इन NGO's को विदेशी सहायता के रुप में 31473.56 करोड़ रुपये प्राप्त हुये. इसके अतिरिक्त देश में लगभग 33 लाख NGO's कार्यरत है.इनमें से अधिकांश NGO भ्रष्ट राजनेताओं, भ्रष्ट नौकरशाहों, भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों, भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों के परिजनों,परिचितों और उनके दलालों के है. केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों के अतिरिक्त देश के सभी राज्यों की सरकारों द्वारा जन कल्याण हेतु इन NGO's को आर्थिक मदद दी जाती है.एक अनुमान के अनुसार इन NGO's को प्रतिवर्ष न्यूनतम लगभग 50,000.00 करोड़ रुपये देशी विदेशी सहायता के रुप में प्राप्त होते हैं.
इसका सीधा मतलब यह है की पिछले एक दशक में इन NGO's को 5-6 लाख करोड़ की आर्थिक मदद मिली. ताज्जुब की बात यह है की इतनी बड़ी रकम कब.? कहा.? कैसे.? और किस पर.? खर्च कर दी गई. इसकी कोई जानकारी उस जनता को नहीं दी जाती जिसके कल्याण के लिये, जिसके उत्थान के लिये विदेशी संस्थानों और देश की सरकारों द्वारा इन NGO's को आर्थिक मदद दी जाती है. इसका विवरण केवल भ्रष्ट NGO संचालकों, भ्रष्ट नेताओ, भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों, भ्रष्ट बाबुओं, की जेबों तक सिमट कर रह जाता है.
भौतिक रूप से इस रकम का इस्तेमाल कहीं नज़र नहीं आता. NGO's को मिलने वाली इतनी बड़ी सहायता राशि की प्राप्ति एवं उसके उपयोग की प्रक्रिया बिल्कुल भी पारदर्शी नही है. देश के गरीबों, मजबूरों, मजदूरों, शोषितों, दलितों, अनाथ बच्चो के उत्थान के नाम पर विदेशी संस्थानों और देश में केन्द्र एवं राज्य सरकारों के विभिन्न सरकारी विभागों से जनता की गाढ़ी कमाई के दसियों हज़ार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष लूट लेने वाले NGO's की कोई जवाबदेही तय नहीं है. उनके द्वारा जनता के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई के भयंकर दुरुपयोग की चौकसी एवं जांच पड़ताल तथा उन्हें कठोर दंड दिए जाने का कोई विशेष प्रावधान नहीं है.
लोकपाल बिल कमेटी में शामिल सिविल सोसायटी के उन सदस्यों ने जो खुद को सबसे बड़ा ईमानदार कहते हैं और जो स्वयम तथा उनके साथ देशभर में india against corruption की मुहिम चलाने वाले उनके अधिकांश साथी सहयोगी NGO's भी चलाते है लेकिन उन्होंने आजतक जनता के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई के दसियों हज़ार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष लूट लेने वाले NGO's के खिलाफ आश्चार्यजनक रूप से एक शब्द नहीं बोला है, NGO's को लोकपाल बिल के दायरे में लाने की बात तक नहीं की है.
इसलिए यह आवश्यक है की NGO's को विदेशी संस्थानों और देश में

अन्ना जी ये देश द्रोही आपके साथ क्या कर रहे है....

अन्ना जी ये देश द्रोही आपके साथ क्या कर रहे है....
1 शांति भूषण ........1993 मुंबई बम आतंकवादी विस्फोट के आरोपी शौकत गुरू और संसद हमले में दोषी अफजल के मृत्युदंड के खिलाफ मामले लड़े....
2 प्रशांत भूषण ..........कश्मीर की स्थिति के लिए भारतीय सेना को दोषी ठहराने वाले और भारतीय सेना के खिलाफ हमेंसा खड़े होने वाले साथ ही अफजल के मृत्युदंड के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने वाले ...
3 स्वामी अग्निवेश .........समर्थक नक्सलवाद और कश्मीर में अलगाववाद के लिए लड़ने वाले गिलानी यासीन मलिक के समर्थक ...अमरनाथ यात्रा को पाखंड कहने वाले .....
4 संदीप पांडे ...........सदस्य अफजल गुरु को न्याय दिलाने के लिए बनी समिति के सदस्य.........
5 मेघा पाटकर व अरुंधती राय ........दोनों ही कश्मीर के अलगाववादियों के समर्थन में सुर में सुर मिलाने वाले ......
हो सकता है की मेरे इस सन्देश से लोगो को आपत्ति हो हो सकता है की आप इसे उचित भी न माने .........क्यों पिछली बार जब अन्ना जी अनशन में बैठे थे उस समय केजरीवाल और अग्निवेश ने भारत माँ के चित्र पर आपत्ति की थी ...क्यों इस बार मंच पर लगे चित्र में से भारत माँ के चित्र के साथ सुभाष चन्द्र बोश ,भगत सिंह ,रानी लक्ष्मी बाई व विवेकानंद के चित्र गायब है ...
एक बार अवश्य सोचे की कही हम भी अन्य लोगो की ही देखा देखी हाथो में तिरंगा लिए निकल पड़े है यक़ीनन भ्रष्टाचार के खिलाफ सभी के मन में आक्रोश है लेकिन दोस्तों कही इसी बहाने देशद्रोहियों के हाथ तो हम मजबूत तो नहीं कर रहे है..............

बुधवार, 27 जुलाई 2011

भारत रत्न

विगत पिछले कई दिनों से या यो कहे तो पिछले वर्ष से ही समय दर समय समाचार चैनलों और अखबारों में प्रमुखता से प्रकाशित होती रही है की सचिन तेंदुलकर को खेल में भारत रत्न दिया जाय ........इस पर मेरी राय थोड़ी अलग है ये अच्छी बात है की भारत रत्न की केटेगरी में खेल को भी सम्मिलित किया जाना है इसके पक्षधर सभी है लेकिन यदि परिवर्तन किसी एक खिलाडी के नाम पर किया जाना है तो यह उचित प्रतीत नहीं होता देश में कई खिलाडी हुए है जिन्होंने अपनी खेल प्रतिभा के दम पर भारत का मान बढाया है ऐसे में एक ही नाम हमारे जेहन में क्यों आ रहा है जबकि क्रिकेट तो चंद देशो या यो कहे ब्रिटेन के अधीनस्थ देशो के मध्य खेले जाने वाला खेल है हाकी के जादूगर मेजर ध्यान चाँद,फ़्लाइंग सिक्ख मिल्खा सिंह,रुस्तमे हिंद दारा सिंह,प्रकाश पादुकोण स्वर्ण पारी PT USHA , कपिल देव जो कही न कही ऐसे सितारे है जिन्होंने उन दिनों खेल जगत में भारत का नाम उचा किया जब संचार माध्यम इतने विकसित नहीं हुए थे जिससे इनकी प्रतिभा को लोग घर बैठे देख सके ! क्रिकेट आज हिन्दुस्तानियों के लिए जूनून की हद तक खेले जाना वाला खेल है लेकिन अफशोस होता है इस खेल में जब 11 खिलाडी खेलते है लेकिन महिमा गान सिर्फ और सिर्फ एक ही खिलाडी का होता है अभी हाल ही में भारत इंग्लेंड टेस्ट मेच हुआ जिसमे भारत की शर्मनाक हर हुई मेच देखकर ये लगा की ये क्या हो रहा है महेंदर सिंह धोनी विकेट कीपिंग छोड़कर बालिंग करने लगे और हद तब हो गयी जब हम जीतने के लिए नहीं बल्कि इस उम्मीद से खेलने उतरे की सचिन तेंदुलकर अपने शतको की सेंचुरी कब पूरी करेंगे और वही हुआ जिसका डर था इंग्लेंड ने भारत की इस कमजोरी को भाप कर उसे शर्मनाक मात दी हम जीतने के लिए खेलना चाहिए था न की किसी खिलाडी के रिकार्ड को दुरुस्त करने के लिए इस टेस्ट मेच में सचिन तेंदुलकर को फीवर (बुखार )था वे बुखार से पीड़ित थे फिर भी खेलने उतरे क्या उनका ये निर्णय सही था जब कोई खिलाडी घायल हो चोटग्रस्त हो या किसी बीमारी (बुखार ) से पीड़ित हो ऐसे में वह चयनकर्ताओ अपने कोच या टीम के कप्तान को बगैर बताये वह मैदान में सिर्फ अपने सपनो को पूरा करने उतरता है तो वह अपना ही नहीं पुरे देश व उससे जुडी भावनाओ को चोट पहुचता है बुखार से पीड़ित सचिन जब बेटिंग करने उतरे तो पहली पारी में 34 व दूसरी पारी में सिर्फ 12 रन ही बना पाए यदि उनकी जगह कोई और बैट्समेन आता तो हो सकता है की उससे ज्यादा रन बनता या ये कहे की इस हर को टाला जा सकता था सचिन जी आप बेहतरीन खिलाडी है आप जैसा कोई नहीं लेकिन जब आप इतनी प्रसिद्धि मान सम्मान पा चुके हो तो ये चिंता भी आप करे की कही आपका निर्णय क्रिकेट की जीत में बाधक तो नहीं बन रहा ..........

मंगलवार, 5 जुलाई 2011

आमिर जी क्या सोच कर आपने यह फिल्म बनाई ??????????

आमिर खान ने क्या सोचकर यह फिल्म बनाई------------
आमिर खान बहुत अच्छे अभिनेता है उन्होंने अपने अभिनय के माध्यम से एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्मे दी है ..और अपने अभिनय ही नहीं अपने निर्देशन में ज्वलंत विषयो और दिल को छूने वाली फिल्मो का निर्माण भी किया है ..लगान, तारे जमी पर, रंग दे बसंती आदि लेकिन इसी आमिर खान ने एक और फिल्म का निर्माण किया है देल्ही-बेली *** फिल्म देखकर मन में आया की क्या सोचकर आमिर ने यह फिल्म बनाई मेरे एक मित्र ने कहा की आमिर खान ने अपने इंटरव्यूय में कहा था की मै यह फिल्म वयस्कों के मनोरंजन के लिए बना रहा हु आमिर जी वयस्कों के बारे में और मनोरंजन के बारे क्या आपकी यही राय है गाली गलौज वह भी ऐसी ऐसी गालीया ऐसे ऐसे शब्द जो की सभ्य समाज में असभ्य कहे जाते है जिसे सुनकर ही लोग अनसुना कर देते है उसे सुनने के लिए लोग टिकट खरीद रहे है धन्य है आमिर जी ! आमिर जी वयस्कों के लिए फिल्म ही बनानी थी तो हमारे समाज में बहुत से विषयो पर बोलने सुनने में असहज व संकोच मह्सुश करते है उन पर आप खुलकर फिल्म बनाते तो शायद अच्छा होता फिल्म के बारे में लोगो की अपनी अपनी राय हो सकती है हो सकता है बहुतो को यह फिल्म अच्छी लगी हो लेकिन मैंने जब यह फिल्म देखी तो मन में यह सवाल आया की .........
आमिर जी क्या सोच कर आपने यह फिल्म बनाई ??????????

गुरुवार, 9 जून 2011

तिहाड़ जेल .........

कोई पुस्तैनी जागीर बन बैठा है दूर संचार के तारो को !
कोई हसी मजाक समझ रहा है सुप्रीम कोर्ट की फटकारो को !!
कोई तेलों का दाम बढाकर रिश्वत खोरी करता है !
कोई पी.एम. के आफिस में ही इसरो की चोरी करता है !!
कोई बाट रहा है मयखानों में सड़ाकर अनाज के दानो को !
कोई कौड़ी के भाव बेच रहा है वीर शहीदों के मकानों को !!
कोई बिरयानी बघार रहा है पामोलिव के तेलों में !
कोई भारत माँ को लुट रहा है राष्ट्रमंडल के खेलो में !!
कोई अफजल कसाब को परोस रहा है चिकन और जमो को !
कोई बर्बरता से कुचल रहा है अन्ना और बाबा के संग्रामो को !!
कोई नौकर से बदतर कर देता है पी.एम.की मर्यादा को !
कोई सत्ता के पहरे देता है नक्सलियों के दादा को !!
अब छोडो धीरज का चोला तोड़ो स्विस बैंक के तालो को !
बिच सड़क में नंगा कर दो इन दिल्ली के चोरो और दलालों को !!
क्या रखा है ए रखा है ए राजा, कनमोझी और कलमाड़ी में !
इनको हाईकमान को डालो तिहाड़ जेल की बाड़ी में !!
ऐसा होगा जिस दिन धरती पर खुद कला धन वापस आ जायेगा !
नहीं जरुरत फिर किसी संघर्ष की, गरीब चैन से दो वक्त की रोटी खायेगा !!....

बुधवार, 25 मई 2011

नक्सल समस्या पर हम कितने गंभीर ...............

नक्सलियों का खुनी तांडव मानवता की सारी सीमाए लांघ चूका है और हम सिवाए लाशें गिनने के और शहीद परिवारों को सांत्वना देने के सिवाए और कुछ नहीं कर रहे है!खुलेआम नक्सली बंद का ऐलान करते है एक दो नहीं सैकड़ो की संख्या में नक्सली आते है ,हमारे जवानो की हत्या करते है ,लाशो के साथ अमानवीय कृत्य करते है और हम बेबस से रह जाते है !कहा है मानवाधिकार संघठन,कहा है उनके चहेते पाखंडी अग्निवेश! क्या केंद्र में बैठी सरकार में थोडा भी राष्ट्र धर्म नहीं है !नक्सली समर्थक विनायक सेन जिस पर राजद्रोह का मामला हाइकोर्ट में अपील हेतु लंबित है निचली अदालत ने विनायक सेन को राजद्रोह का आरोपी पाया है और उसे आजीवन कारावास की सजा दी है ........उसे पुरुस्कृत कर देश के प्रतिष्ठित स्थान पर योजना आयोग के सदस्य के रूप में बैठाया गया है क्या इससे यह प्रतीत नहीं होता की केंद्र सरकार भी नक्सल मुद्दे में राजनैतिक रोटिया सेंक रही है! जब CRPF के जवान एक्शन लेते है और कोई आपरेशन करते है तो उसे बदनाम करने में केंद्र सरकार कोई कसर नहीं छोडती! तुरंत आनन् फानन में प्रतिनिधि मंडल भेजती है ,देशभर के तमाम मिडिया व मानवाधिकारो से जुड़े लोग एक सुर में चिल्ल पौ मचाते है और जब इतनी बड़ी संख्या मे हमारे जवान मारे जाते है तो हमारी मिडिया मुकदर्शक बन रह जाती ! अफशोस आजादी के 60 - 65 वर्ष बाद भी ऐसा लगता है की देश के कई राज्य भले ही विकास में बहुत आगे है परन्तु हमारी मिडिया उन्हें अपने समाचारों की केटेगरी में बहुत पीछे रखती है लगातार हो रही घटनाओ से बेखबर बेशरम मिडिया को तो चिंता है की दाऊद के गुर्गो पर हमला किसने किया या नौटंकी करने भट्टा परसोल गए राहुल गाँधी किसकी मोटर बाइक में बैठकर गए थे! धन्य है भारत का मिडिया ...धन्य है केंद्र सरकार और धन्य है मानवाधिकार संघठन ............

शनिवार, 7 मई 2011

माँ

जरा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाए!दिए से मेरी माँ,मेरे लिए काजल बनती है !!

सुख देती हुए माओ को गिनती नहीं आती!पीपल की घनी छाव के ऊपर छाव नहीं होती!!

लबो पर उसके कभी बददुआ नहीं होती!बस एक माँ है जो कभी खफा नहीं होती !!

इस तरह  मेरे गुनाहों को वो धो देती है !माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है !!

मैंने रोते हुए पोछे थे किसी दिन आंसू!मुद्दतो माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना !!

अभी जिन्दा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा!मै घर से जब निकलता हु दुआ भी साथ चलती है !!

जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है!माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है !!

ऐ अँधेरे देख ले तेरा मुह काला हो गया!माँ ने आँखे खोल दी घर में उजाला हो गया !!

मेरी ख्वाईश है की मै फिर से फ़रिश्ता हो जाऊ!माँ से इस इस तरह लिपट जाऊ की बच्चा हो जाऊ!!

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई!मै घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई!!
                                                                          मुनव्वर साहब के कुछ चुनिन्दा शेर ..........

शनिवार, 23 अप्रैल 2011

अंग्रेजो से ज्यादा भ्रष्ट नेताओ ने देश को लुटा

भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा
भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले
30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है!
या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है!
या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक फोर लेन रोड बनाया जा सकता है!
ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है !
ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो!
 यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है!
 जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2011 तक जारी है!
इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है!
अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा,
मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है!
एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़ ,या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है!
 भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है.
सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है! हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है!
हाल ही में हुए  घोटालों का आप सभी को पता ही है -
 CWG घोटाला, 2 G SPECTRAM घोटाला , आदर्श घोटाला S बैंड घोटाला,कामनवेल्थ घोटाला,सड़ा गला खादान्न घोटाला,हाउसिंग लोन घोटाला,पामोलिन घोटाला,IPL घोटाला  ... और ना जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले है ........

रविवार, 10 अप्रैल 2011

भ्रष्टाचार के विरुद्ध मुहीम

दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रसिद्द समाजसेवी अन्ना हजारे के अनशन से सरकार की मुश्किलें खड़ी हो गयी थी ! जन लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर अनशन कर रहे हजारे को व्यापक जन समर्थन मिला ! दिल्ली के जंतर मंतर से यह आवाज निकल कर पुरे देश में फ़ैल गयी ! देश के विभिन्न राज्यों में धरना,उपवास ,रैली ,मशाल जुलुस ने इस आन्दोलन को जन आन्दोलन का रूप दे दिया ! फेस बुक और ट्विटर में इस विषय पर लोगो ने अपने कमेंट्स देने शुरू कर दिए ! एक प्रकार से होड़ सी लगी रही समर्थन देने वालो की !मोबाईल में आने वाले SMS भी इस अनशन को लेकर ही थे !
सोचनीय विषय यह है की इस आन्दोलन को इतना व्यापक जन समर्थन कैसे मिला ! बहुत हद तक तो राजनेताओ ,भ्रष्ट मंत्रियो ,नौकरशाही में व्याप्त भ्रस्टाचार से पीड़ित जनता की वर्षो से दबी आग ने अन्ना के अनशन से चिंगारी का रूप लिया !स्कूल में एडमिशन से लेकर ,ड्रायविंग लाइसेंस बनाने ,सरकारी कार्यो में अफसरों बाबुओ को रिश्वत देते देते आम जनता त्रस्त हो चुकी थी !इस आक्रोशित विचार को अन्ना के अनशन ने ज्वालामुखी का रूप दिया ! ज्वालामुखी के फटने से जो लावा विरोध स्वरूप बह निकला उसकी चपेट में आज नहीं तो कल राजनेता ,भ्रष्ट मंत्री नौकरशाह चपेट में आयेंगे ! अपने आप में एक तरह से एक नए आन्दोलन की शुरुआत अन्ना हजारे ने की है ! इस आन्दोलन में राजनेताओ को छोड़कर फ़िल्मी हस्तिया , क्रिकेट खिलाडी , वरिष्ठ समाजसेवी सम्मिलित रहे ! राजनेताओ ने भी इस आन्दोलन में अपना समर्थन देने का प्रयाश किया परन्तु आंदोलनरत लोगो ने राजनेताओ को इस आन्दोलन से दूर खदेड़ दिया ! आन्दोलन के कोर ग्रुप में स्वामी अग्निवेश का होना आश्चर्य का विषय है ! घोर नक्सली समर्थक स्वामी अग्निवेश पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ लाल सलाम का नारा लगते दिखे थे ! उनका इस मुहीम में होना आश्चर्य का विषय है ! हर एक आन्दोलन की शुरुआत नेक नियति व जन आन्दोलन को लेकर प्रारम्भ होती है परन्तु कुछ लोगो के आने से इस आन्दोलन का स्वरूप बदल जाता है !वह आन्दोलन अपनी दिशा से भटक कर गलत हाथो में चला जाता है ! नक्सल बाड़ी का जन आन्दोलन चलने वाले कानू सान्याल का आन्दोलन आज कई राज्यों में सिरदर्द बन चूका है ! हथियार थामे नक्सली अब राज्यों की सत्ता को ललकार रहे है , सुरक्षा बलों की निर्मम हत्या कर रहे है , जन अदालत लगाकर तालिबानियों की तर्ज पर सजाए दे रहे है !
अन्ना जी आपके द्वारा चलाई गई मुहीम निश्चित ही इस देश की दशा व दिशा बदलने में सहायक होगी परन्तु अंजाम में पहुचने के लिए हथियारों के बल पर निष्कर्ष निकालने वालो के समर्थको को पहचान कर उन्हें दूर करे क्योकि गाँधी जी के मार्ग पर चलने वाले इस आन्दोलन में हिंसा के मार्ग पर चलने वाले नक्सलियों के समर्थक स्वामी अग्निवेश का क्या काम !
अन्ना जी ने सयुक्त सदस्यीय समिति में जिन्हें सदस्य मनोनीत किया है उन्हें लेकर जो सार्वजानिक मतभेद उभरे है वह स्वभाविक है ! अन्ना जी का आन्दोलन एक जन आन्दोलन था परन्तु 5 सदस्यों का नाम चुनने में जो अलोकतांत्रिक तरीका अपनाया गया वह उचित नहीं था विशेष रूप से अरविन्द केजरीवाल के चयन को लेकर अनशन स्थल पर भारी विरोध के स्वर उठे साथ ही 5 सदस्यों में पिता व पुत्र को एक साथ रखने पर भी भारी विरोध के स्वर उठे ! शांति भूषण और प्रशांत भूषण के एक साथ 5 सदस्यीय समिति में होने का भारी विरोध हुआ ! योग गुरु बाबा रामदेव ने भी इसका विरोध किया है साथ ही साथ धरना स्थल पर लोगो ने विरोध स्वरूप नारेबाजी भी की अनशन तोड़ने से मना कर दिया ! अन्ना जी जुश पिलाने आये तो उन्हें भी मना कर दिया गया !
अब सोचनीय विषय यह है की मुहीम अच्छी थी वे स्वयम एक अच्छे सुलझे हुए समाजसेवी है ! देश की स्थिति को लेकर उनके आन्दोलन में देश भर के हर उम्र दराज के लोग जुड़ते गये ! ऐसे में स्वामी अग्निवेश जैसे लोगो का होना अरविन्द केजरीवाल सहित परिवार वाद को बढ़ावा देने पिता पुत्र को एक साथ सम्मिलित करना अलोकतांत्रिक तरीके से चयन करना इस आन्दोलन को भविष्य में किस और ले जायेगा चिंतनीय है क्योकि अभी तो शुरुआत है मंजील अभी बहुत दूर है ! बिल , विधेयक अथवा कानून तो इस देश में बहुत से बने है परन्तु उसकी सार्थकता तभी है जब ऐसे विधेयक के मूल उद्देश्यों से जनता को लाभ हो और दोषियों को सजा मिले !

गुरुवार, 17 मार्च 2011

भ्रष्ट मंत्रियो ने तो हद ही कर दी ...........

भ्रष्ट मंत्रियो को लुटेरो का गिरोह कहा जाय तो गलत नहीं होगा !देश को जितना विदेशी हमलावरों ने नहीं लुटा इस सरकार में बैठे हुए लोग लुट रहे है !गोदामों में अनाज सड़ रहा है,किसान आत्महत्या कर रहे है और इस सरकार के मंत्री अफसर इतना कमा रहे है की उसे स्विस बैंको में जमा करवाना पड़ रहा है !सीमा पार जो जवान देश की रक्षा करते हुए शहीद हो रहे है उनके हिस्से के मकान तक इन लोगो ने हड़प डाले !आम भारतीय 20 रूपये से भी कम में गुजारा कर रहा है और भ्रष्ट मंत्री घोटालो में करोड़ो से अरबो खरबों में पहुच रहे है !इस देश में भ्रष्ट लोग बेखौफ है,सुखी है !मेहनतकश उपेक्षित है,शोषित है और पीड़ित है !
                                       घोटाले दर घोटाले 
महंगाई घोटाला :-इस सरकार का सबसे बड़ा घोटाला महंगाई है जिससे देश का हर आम नागरिक परेशान है!सरकार की नीतियों की वजह से बाजार में जरूरी चीजो के दाम आसमान छू रहे है और बिचौलिये मालामाल हो रहे है ! महंगाई कई गुना बढ चुकी है !कुछ सस्ता हुआ है तो बस लोगो की जान !
 एस बैंड घोटाला :-सीधे प्रधानमंत्री  कार्यालय के नियंत्रण में काम करने वाली अंतरिक्ष संस्था इसरो ने एक निजी कम्पनी देवास के हाथ कौड़ियो के मोल लाइसेंस बेच कर देश को 2 लाख करोड़ का चुना लगा दिया ! इतनी रकम से छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य का हर व्यक्ति लखपति बन सकता था !इस घोटाले से न सिर्फ देश का आर्थिक नुकसान हुआ है बल्कि उसकी सुरक्षा भी खतरे में पड़ गयी है !लाइसेंस लेने वाली कम्पनी में खुद इसरो के अधिकारी हिस्सेदार है !यह घोटाला सीधे प्रधानमंत्री की ईमानदारी पर सवाल खड़ा करता है
 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला :- मोबाईल कंपनियों को नाम मात्र की कीमत पर लाइसेंस देकर एक लाख सत्तर हजार करोड़ का वारा न्यारा कर दिया गया !इतने पैसो से देश भर में सड़क,अस्पताल और स्कूल बनाये जा सकते थे !CBI ने तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा को ही अपनी गिरफ्त में लिया है !लेकिन इतना बड़ा घोटाला क्या उन्होंने उच्च पदों पर बैठे लोगो की सहमती के बगैर कर डाला !नीरा राडिया के टेप से यह बात जाहिर हो गया है कि राजा को मंत्री बनाने में दलालों एवं गैर सवैधानिक हस्तियों ने प्रमुख भूमिका निभाई थी !नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने यह रिपोर्ट दी है कि इस घोटाले के कारण देश का 1.77 लाख करोड़ रुपया लूट लिया गया !
कामनवेल्थ घोटाला :-पिछले साल दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलो का घोटाला फूटा!इसने सारी दुनिया के आगे देश का सिर शर्म से झुका दिया !पुरे आयोजन में 58 हजार करोड़ कि गड़बड़ी उजागर हुई है !आयोजन समिति के मुखिया सुरेश कलमाड़ी को इसका जिम्मेदार मन गया,पर अभी तक वे सिर्फ अपना पद गंवा कर सुरक्षित बचे हुए है !



आदर्श घोटाला :-मुंबई के पाश इलाके में सेना कि जमीन पर कारगिल के शहीदों के लिए 6 मंजिला ईमारत में फ़्लैट बनाने कि बात हुई !लेकिन नेताओ और अफसरों कि मिलीभगत से ये ईमारत 31 मंजिला बन गयी और शहीदों के लिए आरक्षित घर की जगह नेताओ के घरवालो ने ली की, नेताओं ने बंदरबाट कर ली !फ्लेटो कि बाजार में कीमत 8.5 करोड़ है !फ्लेट पाने वालो में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के साले,साली और सास भी शामिल है !घोटाले के खुलासे के बाद मुख्यमंत्री को कुर्सी छोडनी पड़ी और उन पर मुकदमा भी चलाया जा रहा है !
खाधान्न घोटाला :-उत्तरप्रदेश में करीब 35 हजार करोड़ रूपये का अनाज अफसरों ने मिलीभगत कर देश के दुसरे शहरो और विदेशो में बेच दिया !यह अनाज विभिन्न योजनाओ के तहत गरीबो को दिया जाने वाला था !इलाहबाद हाईकोर्ट ने इस घोटाले कि पूरी जांच CBI को सौंप दी है !सात साल तक चली इस हेरा फेरी को लेकर यूपी में करीब पांच हजार FIR दर्ज है !
सडा-गला खाधान्न घोटाला:- इस घोटाले में 58 हजार करोड़ का नुकसान देश को हुआ है !भाजपा का आरोप है कि जानबूझ कर अनाज को सडाया गया ताकि शराब लाबियो को सस्ते दामो पर उसे बेचा जा सके !FCI के गोदामों में रखा 67 हजार 542 टन अनाज सड़ गया !सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि इस अनाज को देश के 40 हजार करोड़ गरीब लोगो के बिच बाट देना चाहिए !लेकिन केंद्र सरकार कि मंशा शराब लाबियो को लाभ पहुचने कि थी इसलिए उसने इसे मानने से इंकार कर दिया !
हाऊसिंग लोन घोटाला:-CBI ने नवम्बर 2010 में हाऊसिंग घोटाले का भी पर्दाफास किया !उसके मुताबिक यह पूरा घोटाला 1000 करोड़ रूपये का है !इस सिलसिले में LIC हाऊसिंग फायनेंस के CEO रामचंद्रन नायर के आलावा विभिन्न बैंको और वित्तीय संस्थाओ के कई बड़े अधिकारी गिरफ्तार किये गये !
पामोलिन घोटाला :- घोटालो के आरोप से घिरे केरल केडर के IS अधिकारी पी जी थामस को आपत्ति के बावजूद मुख्य सतर्कता आयुक्त बनाया गया ! केरल में वर्ष 91-92 में सिंगापूर से पामोलिन तेल आयात किया गया था !थामस पर यह आरोप है कि उसने तेल कि अधिक कीमत चुकाकर 2.32 करोड़ रूपये का नुकसान देश को पहुचाया था !2003 में विजिलेंस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कि और आरोपियों कि सूची में थामस का नाम शामिल किया !थामस को हटाने कि मांग लम्बे समय से कि जा रही थी लेकिन सरकार अपने फायदे के लिए उसे बचाती रही अंतत: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस घोटालेबाज अफसर को पड़ छोड़ना पड़ा!
IPL घोटाला :- IPL की कोच्ची टीम कि नीलामी में गलत ढंग से UPA के मंत्री शशि थरूर कि पत्नी कि कम्पनी को 10 प्रतिशत कि हिस्सेदारी देकर करीब 70 करोड़ रूपये का घोटाला किया गया !इस मामले में जंहा शशि थरूर को मंत्री पद गवाना पड़ा वही इस घपले कि सुई केन्द्रीय मंत्री शरद पवार एवम प्रफुल्ल पटेल कि और भी घूमी !आरोप है कि इनके परिवार के सदस्यों का भी इसमें शेयर था !
काला धन  :-घरलू मोर्चे पर जंहा देश कि जनता बदहाल है वही कुछ वर्ग विशेष के लोगो कि काली कमाई में अपार वृद्धि हुई है !दुनिया के 22 देशो में भारतीयों कि 15 हजार करोड़ रूपये कि काली कमाई जमा होने कि जानकारी लग चुकी है !एक आकलन के अनुसार विदेशो में जमा धन भारत के सकल घरलू उत्पाद से भी ज्यादा है !उन पैसो से देश के सभी हिस्सों कि सड़क, बिजली, पानी, अस्पताल, मकान आदि कि जरूरत पूरी कि जा सकती है !यदि घोटाले कि पूरी रकम का उचित उपयोग किया जाता तो शायद देश के हर नागरिक का विदेशी कर्ज चुकाया जा सकता था !यह संदेह पैदा होने के पर्याप्त कारण है कि केंद्र सरकार जानबूझकर काली कमाई करने वाले लोगो को बचा रही है !

शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

चुनाव


लोकसभा विधानसभा नगरीय निकाय चुनाव पंचायत चुनाव वार्ड मेंबर के चुनाव होते है !अब तो छोटे छोटे स्तरों पर भी चुनाव होने लगे है !जैसे मोहल्ले के दस बीस घरो के बिच नेता का चुनाव ,आफिस में चुनाव,वकीलों के बिच चुनाव, डाक्टरों के बीच चुनाव, व्यापारियों के बिच चुनाव, स्कुलो व कालेजो में क्लास स्तर के चुनाव इस तरह अब चुनाव बहुत छोटे स्तरों पर संपन्न होने लगे है!
सोचिये कितना अच्छा हो की यदि घर घर में भी चुनाव होने लगे, ऐसे में क्या होगा दादा दादी जिन्हें अब तक नहीं पूछा जाता था दादा जी का चश्मा टूटे महीनो बीत चुके थे दादा जी को ठीक से दिखाई नहीं देता ऐसे में दादा जी की परेशानी को समझने वाला कोई नही था! बड़े ,मंझले और छोटे बेटे को कई बार कह चुके थे पर किसी के भी पास चश्मा बनवाने के लिए पैसा नहीं था !चुनाव आते ही दादा जी का चश्मा बन जायेगा और लाठी की वर्षो पुरानी मांग भी पूरी हो जाएगी !दादा दादी को अच्छे अच्छे पकवान खाने को मिलेंगे और हा दादी जी का दांतों का सेट भी अब बन जायेगा !बड़े मंझले या छोटे बेटे में से किसी एक को चुनाव जो जितना था !ऐसे में बच्चो की भी नीकल पड़ी थी पाकिट मनी जो बढ़ने वाली थी बेटी को स्कूटर और बेटे को नई बाइक भी दिलाने का वादा था और तो और घर के एक प्रत्यासी ने जितने पर बच्चो को नया मोबाईल सेट ब्लूटूथ व केमरा वाला दिलाने का वादा किया था !परन्तु हा वादा लिया था की बेशकीमती वोट उन्हें ही मिलना चाहिए !पुरे घर की फिजा ही बदल गई थी !मंझली बहु जो की थोड़े गरीब घर से आई थी को घर के सभी सदस्यों द्वारा पर्याप्त सम्मान देने की बात कही जाने लगी !
वास्तव में चुनाव होते रहने चाहिए जितने के बाद भले ही नेता गायब हो जाते है परन्तु चुनाव के दौरान तो नजर आते है !और इतना कुछ दे जाते है की पांच साल तक मांगने की आवश्यकता नहीं पड़ती और ऐसे में यदि घरो में भी चुनाव होने लगे तो घर की भी छोटी बड़ी समस्या कुछ समय के लिए ही सही हल तो होगी और बड़े बुढो व बच्चो को पर्याप्त मान सम्मान भी मिलेगा व पूछ परख बढ़ेगी !

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

अजी सुनते हो ...............

अक्सर ये शब्द हमने अपने घरो में सुना है वे जिनकी शादी हो चुकी है या जो विवाह की दहलीज पर खड़े है ऐसे प्यार भरे लुभावने शब्द मन को गुदगुदाते है! जैसे की अजी सुनते हो,मुन्ने के पापा,जरा सुनियेगा इसी तरह पति का पत्नी के लिए संबोधन अरी ओ भागवान,करमा वालिये ये प्यार की मिठास लिए शब्द पति पत्नी के दैनिक दिनचर्या में हुई थकावट को गायब कर देते है!परन्तु वर्तमान परिवेश में आधुनिकता का समावेश लिए परिवारों में पति पत्निया इन शब्दों को भूलते जा रहे है! अब पति तो पति, पत्निया भी अपने पति को उसके नाम से संबोधित करती है! रिश्ते की बनावट और बुनावट किस पर निर्भर करती है! जाने कितने ही जरुरी गुणों की मौजूदगी का बखान कर दिया जाता है! इस सवाल के जवाब में लेकिन सही मायने में इसके लिए दो ही स्थितिया आवश्यक है! पहली रिश्ता निभाने का विचार और दूसरी संवाद निभाने वाली सोच हर नाते का पहला कदम है! अब शादी को लीजिये कैसे बुना जाय यह रिश्ता की ताने बाने बराबर टिके रहे! जिनकी शादी को 20 - 25 साल हो गये ऐसे लोगो से बातचीत करके विवाह काउंसलर इस नतीजे पर पहुचे है की विश्वास ही वह जादू है जो रिश्तो को बंधे रखता है! यह विश्वास ही है जो निभाने वाली सोच का आधार बनता है! लोग कहते मिलेंगे की बात तो समर्पण की है! समर्पण का यह अभिप्राय कदापि नहीं है की हम अपने आपको किसी को समर्पित कर दे! हम आपको बता दे की निभाने के विचार का ही दूसरा नाम समर्पण है जो विश्वास से जुड़ा है!दूसरी बात थी संवाद, संवाद की अहमियत इतनी ज्यादा होती है की इसे समझना बहुत ही आवश्यक है! खास कर सफल वैवाहिक जीवन के लिए, लेकिन यहाँ यह बताना जरुरी होगा की हम बातचीत करने की बात नहीं कर रहे! बातचीत और संवाद में बहुत अंतर है बच्चे के स्कूल की बाते,आर्थिक चर्चा,नौकरी या नौकरों के नखरे,मित्रो रिश्तेदारों की बाते,आफिस या कार्यक्षेत्र की सफलता या कठिनाइयों का अदान प्रदान सचमुच केवल बाते है, संवाद नहीं! बात करना एक तरफ़ा है और संवाद दो तरफ़ा! संवाद सुनने के लिए प्रेरित करता है जब आप सुनते है तब दुसरे को जानते है! ध्यान से सुनने के लिए अपने काम छोड़ देते है, पुरे गौर से सुनकर प्रतिक्रिया देते है, तो सामने वाले का सम्मान करते है! उसकी राय उसके सपनो उसकी सोच को स्वीकारते है! और जब ऐसा होता है तो साथी को जीवन में शामिल किये जाने का यकीन रहता है! संवाद के लिए संही माहौल आज के शोर में पाना यु भी मुश्किल है! कभी कभी अचानक साथ घुमने चले जाने का प्रोग्राम तथा रोज एक साथ भोजन करने के आलावा तीन तरीके है जो आधुनिक समय में संवाद के रास्ते को साफ़ बनाये रखते  है !
1 पति पत्नी घर में खुद को मिडिया स्रोतों से दूर रखे कम से कम कुछ देर के लिए! इसका मतलब है की टी.वी.,कंप्यूटर,मोबाईल म्यूजिक सिस्टम सब से दूर रखे! कोशिश करे की इस माहौल में रोज आधा घंटा बिताये कुछ ही दिनों में आपसी संवाद कितना बेहतर हो जायेगा आप खुद ही देख लीजियेगा !
2 एक साँझा डायरी बनाये जिसमे शुरुआत में अपने अगले दिन के कार्यक्रम के बारे में लिखे! इसमें कोई गलतफहमी नहीं रहेगी धीरे धीरे इसमें अपने सपनो, साथी के लिए भावी योजनाये और मनोभाव भी लिखे जा सकते है! इसमें हर रोज लिखना ही है यह नियम दोनों निभाए! कई लोग कहने से ज्यादा लिखा बेहतर समझते है ऐसे में यह डायरी बहुत ज्यादा फायदेमंद होगी !
3 रात सोने से पहले साथ मिलकर प्रार्थना या दुआ करे! जब दुआए साझी होती है तो जिन्दगिया अलग नहीं हो सकती और जिससे आप नाराज होंगे उसके साथ प्रार्थना नहीं कर सकेंगे! लिहाजा प्रार्थना करते ही गुस्सा छू मंतर हो जायेगा !

बुधवार, 26 जनवरी 2011

क्या श्रीनगर में तिरंगा राष्ट्र का अहित कर सकता है !

श्रीनगर में तिरंगा न फहराया जाय इसकी पूरी संजीदगी से सलाह देने वाले यह भूल जाते है की इसी 19 जनवरी को श्रीनगर तथा शेष घाटी से हिन्दुओ को निकाले जाने का बाईसवा साल शुरू हुआ है क्या किसी भी राष्ट्रवादी-अराष्ट्रवादी या पर-राष्ट्रवादी अख़बार में इसकी चर्चा हुई!क्या कही कोई एक सम्पादकीय इस वेदना पर लिखा गया की आखिर क्या वजह है की पांच लाख हिन्दू 22 साल पहले अपने घरो से उजाड़ कर बहार फेक दिए गए थे!उनके सात सौ से ज्यादा ऐसे मंदिर है,जिनके छाया चित्र और विडिओ उपलब्ध है,जिन मंदिरों को तोडा गया,अपवित्र किया गया,मुर्तिया खंडित की गयी सात सौ हिन्दू मंदिरों के तोड़े जाने और पांच लाख हिन्दुओ के बलात्कार,हत्या,अनाचार के बाद हुए निष्क्रमण को हिन्दुओ का सामान्य भाग्य मानकर सहज और स्वाभाविक घटनाक्रम मान लिया गया!इसी तरह जिस तरह श्रीनगर में तिरंगे का सहज रूप में न लहराया जाना एक स्वीकार्य बात है जिसकी चर्चा भी निषिद्ध है जब तक की कोई सिरफिरे तिरंगा लहराने की बात न करने लगे!अब सोचिये इस बात का उन सैनिको पर क्या असर होगा जिन्हें तिरंगे की शपथ दिलाकर घाटी में तिरंगे की रक्षा के लिए भेजा जाता है और जब वे देशद्रोहियों का सामना करते हुए शहीद हो जाते है तो उनकी देह तिरंगे में लपेटकर उनके घर भेजी जाती है!सीमा सुरक्षा बल,सी.आर.पी.एफ.,भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और इसमें फिर जम्मू-कश्मीर पुलिस भी क्यों न जोड़ी जाय,वे "तिरंगा मत फहराओ" सन्देश के सामने क्या सोचेंगे!95 प्रतिशत जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान मुस्लिम है.वे पत्थरबाजो का मुकाबला करते है तिरंगा लहराते है राष्ट्रगान गाते है उनके घरो में गिलानी के गुंडे हमला करते है अब इन अर्ध सैनिक बालो तथा पुलिस के जवानो से कहा जा रहा की श्रीनगर में जो "तिरंगा अभियान"के तहत राष्ट्रध्वज फहराने आ रहे है उन्हें तिरंगा मत फहराने देना श्रीनगर में तिरंगा फहराने की भा.ज.यु.मो.अध्यक्ष अनुराग सिंह ठाकुर ने की घोषणा की तो माहौल यु गरमा गया मानो तिरंगा कश्मीर में नहीं इलामाबाद में फहराने की तैयारी की जा रही हो वहा के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बयान दे दिया की श्रीनगर में तिरंगा फहराने नहीं दिया जायेगा.घाटी में तिरंगा-अभियान के कारण माहौल गरमा गया.तनाव बढ़ने लगा ऐसे समाचार छपे चिंतनशील,तर्कसम्मत सेकुलर ढंग से देश के हित की बात करने वाले गंभीर मुद्रा में बोले,बहुत तकलीफ के बाद घाटी का माहौल कुछ नियंत्रित हुआ है,अमन की और हम बढ़ रहे है ये तिरंगा फहराने की बात करके माहौल ख़राब किया जा रहा है.राष्ट्रिय हित का तकाजा है की श्रीनगर में तिरंगा न फहराया जाय यानी श्रीनगर में तिरंगा फहराना राष्ट्र का अहित कर सकता है ये तिरंगा है ही ऐसी चीज इसे देखकर अंग्रेजो को लगता था की उनका अहित होगा पाकिस्तानियों को तिरंगे से चिढ है इस तिरंगे से तालिबानी चिढ़ते है और माओवादी नक्सली भी हर देशद्रोही और भारत का शत्रु तिरंगे से चिढ़ता है तथा हर देशभक्त दुनिया के किसी भी कोने में तिरंगे को देखकर सम्मान से उसे प्रणाम करता है तिरंगे में हमारे प्राण है हम तिरंगे के लिए प्राण देने में भी संकोच नहीं करते हर जय विजय के क्षण हम तिरंगे के साथ मनाते है जो तिरंगे का नहीं वह हमारा नहीं हो सकता और उसकी भावना या सवेंदना की हमें परवाह भी नहीं करनी चाहिए यदि उमर अब्द्दुल्ला विवेक से काम लेते तो तुरंत बयान देते की हम युवा मोर्चा अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और उनके साथियों को श्रीनगर में तिरंगा फहराने के लिए आमंत्रित करते है वे हमारे साथ आए और राज्य के देशभक्त नागरिको के साथ तिरंगा लहराए लाल चौक और बाकी जगहों पर भी तब देखिये क्या बात बनती लेकिन तिरंगे का विरोध कर उमर अब्दुल्ला ने देशभक्तों को ठेस पहुचाई है संगीनों के साए तले वे स्वयं श्रीनगर के खाली स्टेडियम में तिरंगा तो लहरायेंगे ही संवेधानिक मज़बूरी है और पद पर बने रहने की शर्त भी पर वह लहराना भी कोई लहराना कहा जायेगा !डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसी तिरंगे को श्रीनगर में शान से लहराए जाने की स्थिति हेतु जान दी थी उनकी मृत्यु की जिसे तब संघ-जनसंघ के नेताओ ने हत्या कहा था किसी भी ने जांच नहीं की डॉ.मुखर्जी की माता जोगमाया देवी ने कहा था की एक साधारण नागरिक की संदिग्ध मृत्यु की भी जांच होती है पर मेरा बेटा तो देश का नेता था उसकी रहस्यमय मृत्यु की मजिस्ट्रेट जांच तक नहीं करवाई गयी जोगमाया देवी द्वारा प.नेहरु को लिखे पत्र सिर्फ एक माँ की वेदना नहीं एक आहत देशभक्त नागरिक के करुण क्रंदन को अभिव्यक्त करते है उस समय शेख अब्दुल्ला कश्मीर के वजीरे आजम यानी प्रधानमंत्री थे और प.नेहरु देश के प्रधानमंत्री उन्ही शेख अब्दुल्ला के पोते उमर अब्दुल्ला को आज वजीरे आजम इसलिए नहीं कहा जाता क्योकि डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी की शेख अब्दुल्ला की जेल में 23 जून 1953 को हुई मृत्यु ने देश को हिला दिया था और एक लज्जित नेहरु सरकार तथा उसके बाद के शासको को कश्मीर में भारतीय प्रभुसत्ता को चरणबद्ध से लागू करना पड़ा लेकिन फिर भी तिरंगे की प्रभुसत्ता जम्मू व लद्धाख पर पूरी है लेकिन घाटी के देशद्रोही तत्व उसके विरुद्ध आज भी आवाज उठाने में संकोच करते श्रीनगर बार एसोसिअसन के अध्यक्ष ने सार्वजनिक बयान दिया की वे भारतीय नहीं है उसे जड़ सहित अपने आकाओ की जमीं पर उठा फेकने के बजाय एक कमजोर सरकार उसे सहन करती रही उसका बयान श्रीनगर के अखबारों के पहले पन्ने पर छपा फिर उस बयान की तारीफ़ में बयान छपे कोई कार्यवाही नहीं की गयी यह वही श्रीनगर है जंहा के विद्धालयो की पुस्तक में राष्ट्रगान नहीं छपता जंहा बच्चो को गणतंत्र दिवस या स्वत्न्रता दिवस का महत्व नहीं समझाया जाता जंहा तिरंगे को हाँथ में शान की बात नहीं मानी जाती जंहा कुछ मुट्ठीभर देशद्रोही वोट बेंक राजनीती के साए तले देशभक्त मुस्लिमो को भी खामोस बनाये हुए है इसलिए जब लाल चौक पर पाकिस्तानी झंडा फहराया जाता है तो वह खबर नहीं बनती उन लोगो द्वारा अपने प्रभाव के क्षेत्र में पाकिस्तानी झंडा फहराया जाना बहुत स्वभाविक एवं सहज माना जाता है उतना ही स्वभाविक जितना भारत के वीर सैनिको का अपमान और उन पर पत्थर फेंका जाना माना जाता है ये लीग गिलानी और अरुंधती राय के कबीले वाले है जंहा का नमक खायेंगे उसी के साथ विश्वासघात करेंगे देशभक्तों का और उनकी देशभक्ति का इससे बढ़कर और क्या अपमान हो सकता है ..........                                                                                            (आभार श्री तरुण विजय )

बुधवार, 5 जनवरी 2011

स्वदेशी मेला का आयोजन पिछले 7 वर्षो से रायपुर में किया जा रहा है! जिसमे देश भर से लगभग 250 स्टाल स्वदेशी वस्तुओ के विक्रय व प्रदर्शन हेतु एकत्रित होते है!7 दिनों तक चलने वाले मेले में प्रति दिन विविध प्रतियोगिताये ,सांकृतिक कार्यक्रम ,विचार गोष्ठी ,विभिन्न समाजो के कार्यक्रम व सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न होते है! मेले का पूरा चित्रण तो नहीं परन्तु कुछ झलकियों को प्रस्तुत कर रहा हु आशा है! आपको पसंद आएगी...

                       स्वदेशी मेले के आयोजन से पूर्व विधिवत भूमि पूजन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया
 मुख्य अतिथि रायपुर नगर पालिका निगम में सभापति संजय श्रीवास्तव द्वारा कुदाल चलाकर निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया
 स्वदेशी मेले का विधिवत उद्घाटन समारोह छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह,  डॉ.एच.आर.नागेन्द्र कुलपति स्वामी विवेकानंद योग अनुसन्धान संस्थान बेंगलुरु एव हिन्दू विश्वविद्यालय अमेरिका,  रमेश बैस संसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री,  बृजमोहन अग्रवाल लोक निर्माण,स्कूली शिक्षा मंत्री,  किरणमयी नायक महापौर रायपुर, संजय श्रीवास्तव सभापति रायपुर नगर निगम की उपस्तिथि में संपन्न हुआ !

                                                        मुख्य मंत्री रमन सिंह स्वागत भाषण देते हुए
                                        आमंत्रित अतिथियों को स्मृति चिन्ह दे कर सम्मानित किया गया 
 छत्तीसगढ़ शासन में विधि व पंचायत मंत्री रामविचार नेताम, बाल सरक्षण आयोग के अध्यक्ष यशवंत जैन हज कमेटी के अध्यक्ष डॉ. राज मेले के दुसरे दिन अतिथि के रूप में उपस्थित हुए
                                 युवा आयोग के अध्यक्ष संतोष पाण्डेय मेले में अतिथि के रूप में उपस्थित हुए
                       छत्तीसगढ़ शासन में उधोग व वाणिज्य मंत्री  दयालदास बघेल अतिथि के रूप में उपस्थित हुए
                                  छत्तीसगढ़ शासन में कृषि मंत्री चन्द्र शेखर साहू अतिथि के रूप में उपस्थित हुए
                            भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग सिंह देव सम्भोदित करते हुए
                                    छत्तीसगढ़ विधान सभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक सम्भोदित करते हुए
                                              प्रतियोगिताओ की कड़ी में रंगोली प्रतियोगिता संपन्न हुई
                                                                   चित्रकला स्पर्धा संपन्न हुई
                                                                     मेहंदी स्पर्धा संपन्न हुई
                                                                 शिशु वेशभूषा स्पर्धा संपन्न हुई
                                                               सलाद सजाओ स्पर्धा संपन्न हुई
                                             अंतर विद्यालिन महाविद्यालीन समूह नृत्य स्पर्धा संपन्न हुई
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                                                                         व्यंजन स्पर्धा संपन्न हुई
                                 समाज विशेष के आयोजन में छत्तीसगढ़ी समाज द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया
                                              छत्तीसगढ़ी समाज द्वारा व्यंजन का स्टाल भी लगाया गया
                                           सिख समाज द्वारा सिख रेजिमेंट पर नाटक प्रस्तुत किया गया
                                                  सिख समाज द्वारा व्यंजन का स्टाल भी लगाया गया
                                             महार्ष्ट्रीयन समाज द्वारा पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया गया
                                                     केरला समाज द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया
                                                     बंगाली समाज द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया
                                       विभिन्न विषयों पर प्रति दिवश विचार गोष्ठी के कार्यक्रम भी संपन्न हुए 
                                                प्रति दिवस सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गए
                                                  नागपुर के H B ग्रुप ने आकर्षक कार्यक्रम प्रस्तुत किये
                                        इडियन आइडल फेम भाव्या पंडित ने गीतों के माध्यम से समा बंधा
                                                     लाफ्टर चेलेंज फेम राजीव निगम ने खूब हसाया

                                     प्रतियोगिताओ में विजयी प्रतिभाओ को मंच पर सम्मानित किया गया

                                                            स्टाल में विक्रय करते स्टाल धारक
                           मेले में उमड़ी भीड़ प्रति दिवस लगभग 20 से 25 हजार लोगो की उपस्तिथि रहती थी