- चिदम्बरम प्रणय मुखर्जी में सुलह हो गई पुरे देश ने राहत की सांस ली ...ऐसे जैसे देश की सारी समस्याए ही ख़त्म हो गयी ....कभी कभी लगता है की मिडिया ने इस देश को उस बच्चे जैसा बना दिया है जिसे कोई चाकलेट या कोई खिलौना देकर बहलाया जा सकता है ....हाल ही में जब पूरा देश भ्रस्टाचार , आतंकवाद , नक्सलवाद , विदेशो में जमा कला धन जैसे मुद्दों से जूझ रहा था , महंगाई देश के आम नागरिको की कमर तोड़ रही थी ऐसे में प्रायोजित मिडिया ने एक आन्दोलन खड़ा किया अन्ना टीम का आन्दोलन ...ऐसे लगने लगा की अब इस आन्दोलन से पुरे देश की समस्या इस बार तो खत्म हो ही जाएगी ....आजादी की दूसरी लड़ाई का इसे नाम दिया गया ...क्या महिलाये क्या बच्चे क्या बुजुर्ग क्या युवा सभी इस आन्दोलन में कूद पड़े..युवतिया अपने गालो में तिरंगे के टेटू बनवाकर निकल पड़ी पुरे देश में एक उत्सव सा माहौल बन गया ....लगा की अब ये बिल पास होकर ही रहेगा...इस आन्दोलन से दिल्ली की शीला दीक्षित और पी. चिदम्बरम जो की भ्रष्टाचार की भेट चढ़ने वाले थे बच गए ...देश में काला धन वापस लाने की मुहीम ढंडी पढ़ गयी..लोकसभा राज्य सभा में देर रात तक बहस हुई इस प्रायोजित नौटंकी को मिडिया ने खूब दिखाया ....फायदे में रहे अन्ना टीम के केजरीवाल प्रशांत भूषण मनीष सिसोदिया जैसे लोग या फिर फायदा मिला तो कांग्रेस को बेवकूफ बनी तो सिर्फ और सिर्फ इस देश की जनता ....क्या हुआ बिल का किसी को नहीं मालूम सब के सब ढंडे पढ़ गए अन्ना रालेगाओ चले गए टीम अन्ना के लोग भटक गए अब नेतागिरी करे तो कहा करे..प्रशांत भूषण ने कश्मीर को अलग करने जनमत सर्वेक्षण करवाने और सेना वापस बुलाने की वकालत करनी शुरू कर दी मेघा पटाकर ने नक्सलियों के सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया..बच गए केजरीवाल तो वे बिग बॉस के सेलीब्रिटी बननेके जुगाड़ में लग गए...ऐसे में बेचारे अन्ना ने भी चुनाव लड़ाने की बात कह डाली जो कल तक राजनीती को गन्दी दलदल कहते थे जिन्होंने हमेसा इस बात का विरोध किया ..चुनाव प्रणाली पर प्रश्न खड़े किये .. कभी भी जनप्रतिनिधियों के माध्यम से देश में सुधार के पक्षधर कभी नहीं रहे .. यह परिवर्तन कोई आश्चर्य का विषय नहीं है... लेकिन प्रश्न यह है की शोले फिल्म की ही तरह ये डायलाग की "तेरा क्या होगा जनता" ....लेकिन इतना तो है की जनता भी जानती है की उसका भला नहीं होने वाला....
रविवार, 2 अक्टूबर 2011
तेरा क्या होगा जनता....................
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें