जरा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाए!दिए से मेरी माँ,मेरे लिए काजल बनती है !!
लबो पर उसके कभी बददुआ नहीं होती!बस एक माँ है जो कभी खफा नहीं होती !!
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है !माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है !!
मैंने रोते हुए पोछे थे किसी दिन आंसू!मुद्दतो माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना !!
अभी जिन्दा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा!मै घर से जब निकलता हु दुआ भी साथ चलती है !!
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है!माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है !!
ऐ अँधेरे देख ले तेरा मुह काला हो गया!माँ ने आँखे खोल दी घर में उजाला हो गया !!
मेरी ख्वाईश है की मै फिर से फ़रिश्ता हो जाऊ!माँ से इस इस तरह लिपट जाऊ की बच्चा हो जाऊ!!
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई!मै घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई!!
मुनव्वर साहब के कुछ चुनिन्दा शेर ..........
मुन्नवर जी के भावपूर्ण शेर पढवाने का आभार ..... सभी एक से बढ़कर एक हैं....
जवाब देंहटाएंamarjeet ji kin shabdon me aapka shukriya ada karoon main munnavar sahab ke in sher ko kab se dhoondh rahi thi aapne ek sath prastut kiye bahut bahut dhanyawad
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मोनिका जी
जवाब देंहटाएंशालिनी जी आपका भी धन्यवाद
आभार अमरजीत जी -
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शायरी है मुन्नाव्वर जी की .
''मेरे हिस्से में माँ आई'', दीवार की ''मेरे पास मां है'' की तरह.
जवाब देंहटाएंभगवान राम ने शिव-धनुष तोड़ा, सचिन ने क्रिकेट में रिकार्ड तोड़ा, अन्ना हजारे ने अनशन तोड़ा, प्रदर्शनकारियों रेलवे-ट्रैक तोड़ा, विकास -प्राधिकरण ने झुग्गी झोपड़ियों को तोड़ा। हमारे नेताओं ने जनता का दिल तोड़ा। अनेक लोगों ने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए अपने-अपने तरीके से बहुत कुछ तोड़ा है। तोड़ा-तोड़ी की परंपरा हमारे देश में सदियों पुरानी है। आपने कुछ तोड़ा नहीं अपितु माँ की रचनात्मकता से दिलों को जोड़ा है। इस प्रेम, करुणा और ममत्व को बनाए रखिए। भद्रजनों के जीवन की यही पतवार है। आपकी रचना का यही सार है। साधुवाद!
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सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
बस एक माँ है जो कभी खफा नहीं होती !
जवाब देंहटाएंhttp://shayaridays.blogspot.com