श्रीनगर में तिरंगा न फहराया जाय इसकी पूरी संजीदगी से सलाह देने वाले यह भूल जाते है की इसी 19 जनवरी को श्रीनगर तथा शेष घाटी से हिन्दुओ को निकाले जाने का बाईसवा साल शुरू हुआ है क्या किसी भी राष्ट्रवादी-अराष्ट्रवादी या पर-राष्ट्रवादी अख़बार में इसकी चर्चा हुई!क्या कही कोई एक सम्पादकीय इस वेदना पर लिखा गया की आखिर क्या वजह है की पांच लाख हिन्दू 22 साल पहले अपने घरो से उजाड़ कर बहार फेक दिए गए थे!उनके सात सौ से ज्यादा ऐसे मंदिर है,जिनके छाया चित्र और विडिओ उपलब्ध है,जिन मंदिरों को तोडा गया,अपवित्र किया गया,मुर्तिया खंडित की गयी सात सौ हिन्दू मंदिरों के तोड़े जाने और पांच लाख हिन्दुओ के बलात्कार,हत्या,अनाचार के बाद हुए निष्क्रमण को हिन्दुओ का सामान्य भाग्य मानकर सहज और स्वाभाविक घटनाक्रम मान लिया गया!इसी तरह जिस तरह श्रीनगर में तिरंगे का सहज रूप में न लहराया जाना एक स्वीकार्य बात है जिसकी चर्चा भी निषिद्ध है जब तक की कोई सिरफिरे तिरंगा लहराने की बात न करने लगे!अब सोचिये इस बात का उन सैनिको पर क्या असर होगा जिन्हें तिरंगे की शपथ दिलाकर घाटी में तिरंगे की रक्षा के लिए भेजा जाता है और जब वे देशद्रोहियों का सामना करते हुए शहीद हो जाते है तो उनकी देह तिरंगे में लपेटकर उनके घर भेजी जाती है!सीमा सुरक्षा बल,सी.आर.पी.एफ.,भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और इसमें फिर जम्मू-कश्मीर पुलिस भी क्यों न जोड़ी जाय,वे "तिरंगा मत फहराओ" सन्देश के सामने क्या सोचेंगे!95 प्रतिशत जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान मुस्लिम है.वे पत्थरबाजो का मुकाबला करते है तिरंगा लहराते है राष्ट्रगान गाते है उनके घरो में गिलानी के गुंडे हमला करते है अब इन अर्ध सैनिक बालो तथा पुलिस के जवानो से कहा जा रहा की श्रीनगर में जो "तिरंगा अभियान"के तहत राष्ट्रध्वज फहराने आ रहे है उन्हें तिरंगा मत फहराने देना श्रीनगर में तिरंगा फहराने की भा.ज.यु.मो.अध्यक्ष अनुराग सिंह ठाकुर ने की घोषणा की तो माहौल यु गरमा गया मानो तिरंगा कश्मीर में नहीं इलामाबाद में फहराने की तैयारी की जा रही हो वहा के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बयान दे दिया की श्रीनगर में तिरंगा फहराने नहीं दिया जायेगा.घाटी में तिरंगा-अभियान के कारण माहौल गरमा गया.तनाव बढ़ने लगा ऐसे समाचार छपे चिंतनशील,तर्कसम्मत सेकुलर ढंग से देश के हित की बात करने वाले गंभीर मुद्रा में बोले,बहुत तकलीफ के बाद घाटी का माहौल कुछ नियंत्रित हुआ है,अमन की और हम बढ़ रहे है ये तिरंगा फहराने की बात करके माहौल ख़राब किया जा रहा है.राष्ट्रिय हित का तकाजा है की श्रीनगर में तिरंगा न फहराया जाय यानी श्रीनगर में तिरंगा फहराना राष्ट्र का अहित कर सकता है ये तिरंगा है ही ऐसी चीज इसे देखकर अंग्रेजो को लगता था की उनका अहित होगा पाकिस्तानियों को तिरंगे से चिढ है इस तिरंगे से तालिबानी चिढ़ते है और माओवादी नक्सली भी हर देशद्रोही और भारत का शत्रु तिरंगे से चिढ़ता है तथा हर देशभक्त दुनिया के किसी भी कोने में तिरंगे को देखकर सम्मान से उसे प्रणाम करता है तिरंगे में हमारे प्राण है हम तिरंगे के लिए प्राण देने में भी संकोच नहीं करते हर जय विजय के क्षण हम तिरंगे के साथ मनाते है जो तिरंगे का नहीं वह हमारा नहीं हो सकता और उसकी भावना या सवेंदना की हमें परवाह भी नहीं करनी चाहिए यदि उमर अब्द्दुल्ला विवेक से काम लेते तो तुरंत बयान देते की हम युवा मोर्चा अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और उनके साथियों को श्रीनगर में तिरंगा फहराने के लिए आमंत्रित करते है वे हमारे साथ आए और राज्य के देशभक्त नागरिको के साथ तिरंगा लहराए लाल चौक और बाकी जगहों पर भी तब देखिये क्या बात बनती लेकिन तिरंगे का विरोध कर उमर अब्दुल्ला ने देशभक्तों को ठेस पहुचाई है संगीनों के साए तले वे स्वयं श्रीनगर के खाली स्टेडियम में तिरंगा तो लहरायेंगे ही संवेधानिक मज़बूरी है और पद पर बने रहने की शर्त भी पर वह लहराना भी कोई लहराना कहा जायेगा !डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसी तिरंगे को श्रीनगर में शान से लहराए जाने की स्थिति हेतु जान दी थी उनकी मृत्यु की जिसे तब संघ-जनसंघ के नेताओ ने हत्या कहा था किसी भी ने जांच नहीं की डॉ.मुखर्जी की माता जोगमाया देवी ने कहा था की एक साधारण नागरिक की संदिग्ध मृत्यु की भी जांच होती है पर मेरा बेटा तो देश का नेता था उसकी रहस्यमय मृत्यु की मजिस्ट्रेट जांच तक नहीं करवाई गयी जोगमाया देवी द्वारा प.नेहरु को लिखे पत्र सिर्फ एक माँ की वेदना नहीं एक आहत देशभक्त नागरिक के करुण क्रंदन को अभिव्यक्त करते है उस समय शेख अब्दुल्ला कश्मीर के वजीरे आजम यानी प्रधानमंत्री थे और प.नेहरु देश के प्रधानमंत्री उन्ही शेख अब्दुल्ला के पोते उमर अब्दुल्ला को आज वजीरे आजम इसलिए नहीं कहा जाता क्योकि डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी की शेख अब्दुल्ला की जेल में 23 जून 1953 को हुई मृत्यु ने देश को हिला दिया था और एक लज्जित नेहरु सरकार तथा उसके बाद के शासको को कश्मीर में भारतीय प्रभुसत्ता को चरणबद्ध से लागू करना पड़ा लेकिन फिर भी तिरंगे की प्रभुसत्ता जम्मू व लद्धाख पर पूरी है लेकिन घाटी के देशद्रोही तत्व उसके विरुद्ध आज भी आवाज उठाने में संकोच करते श्रीनगर बार एसोसिअसन के अध्यक्ष ने सार्वजनिक बयान दिया की वे भारतीय नहीं है उसे जड़ सहित अपने आकाओ की जमीं पर उठा फेकने के बजाय एक कमजोर सरकार उसे सहन करती रही उसका बयान श्रीनगर के अखबारों के पहले पन्ने पर छपा फिर उस बयान की तारीफ़ में बयान छपे कोई कार्यवाही नहीं की गयी यह वही श्रीनगर है जंहा के विद्धालयो की पुस्तक में राष्ट्रगान नहीं छपता जंहा बच्चो को गणतंत्र दिवस या स्वत्न्रता दिवस का महत्व नहीं समझाया जाता जंहा तिरंगे को हाँथ में शान की बात नहीं मानी जाती जंहा कुछ मुट्ठीभर देशद्रोही वोट बेंक राजनीती के साए तले देशभक्त मुस्लिमो को भी खामोस बनाये हुए है इसलिए जब लाल चौक पर पाकिस्तानी झंडा फहराया जाता है तो वह खबर नहीं बनती उन लोगो द्वारा अपने प्रभाव के क्षेत्र में पाकिस्तानी झंडा फहराया जाना बहुत स्वभाविक एवं सहज माना जाता है उतना ही स्वभाविक जितना भारत के वीर सैनिको का अपमान और उन पर पत्थर फेंका जाना माना जाता है ये लीग गिलानी और अरुंधती राय के कबीले वाले है जंहा का नमक खायेंगे उसी के साथ विश्वासघात करेंगे देशभक्तों का और उनकी देशभक्ति का इससे बढ़कर और क्या अपमान हो सकता है .......... (आभार श्री तरुण विजय )
बुधवार, 26 जनवरी 2011
बुधवार, 5 जनवरी 2011
स्वदेशी मेला का आयोजन पिछले 7 वर्षो से रायपुर में किया जा रहा है! जिसमे देश भर से लगभग 250 स्टाल स्वदेशी वस्तुओ के विक्रय व प्रदर्शन हेतु एकत्रित होते है!7 दिनों तक चलने वाले मेले में प्रति दिन विविध प्रतियोगिताये ,सांकृतिक कार्यक्रम ,विचार गोष्ठी ,विभिन्न समाजो के कार्यक्रम व सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न होते है! मेले का पूरा चित्रण तो नहीं परन्तु कुछ झलकियों को प्रस्तुत कर रहा हु आशा है! आपको पसंद आएगी...
स्वदेशी मेले के आयोजन से पूर्व विधिवत भूमि पूजन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया
मुख्य अतिथि रायपुर नगर पालिका निगम में सभापति संजय श्रीवास्तव द्वारा कुदाल चलाकर निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया
स्वदेशी मेले का विधिवत उद्घाटन समारोह छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह, डॉ.एच.आर.नागेन्द्र कुलपति स्वामी विवेकानंद योग अनुसन्धान संस्थान बेंगलुरु एव हिन्दू विश्वविद्यालय अमेरिका, रमेश बैस संसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री, बृजमोहन अग्रवाल लोक निर्माण,स्कूली शिक्षा मंत्री, किरणमयी नायक महापौर रायपुर, संजय श्रीवास्तव सभापति रायपुर नगर निगम की उपस्तिथि में संपन्न हुआ !
मुख्य मंत्री रमन सिंह स्वागत भाषण देते हुए
आमंत्रित अतिथियों को स्मृति चिन्ह दे कर सम्मानित किया गया
छत्तीसगढ़ शासन में विधि व पंचायत मंत्री रामविचार नेताम, बाल सरक्षण आयोग के अध्यक्ष यशवंत जैन हज कमेटी के अध्यक्ष डॉ. राज मेले के दुसरे दिन अतिथि के रूप में उपस्थित हुए
युवा आयोग के अध्यक्ष संतोष पाण्डेय मेले में अतिथि के रूप में उपस्थित हुए
छत्तीसगढ़ शासन में उधोग व वाणिज्य मंत्री दयालदास बघेल अतिथि के रूप में उपस्थित हुए
छत्तीसगढ़ शासन में कृषि मंत्री चन्द्र शेखर साहू अतिथि के रूप में उपस्थित हुए
भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग सिंह देव सम्भोदित करते हुए
छत्तीसगढ़ विधान सभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक सम्भोदित करते हुए
प्रतियोगिताओ की कड़ी में रंगोली प्रतियोगिता संपन्न हुई
चित्रकला स्पर्धा संपन्न हुई
मेहंदी स्पर्धा संपन्न हुई
शिशु वेशभूषा स्पर्धा संपन्न हुई
सलाद सजाओ स्पर्धा संपन्न हुई
अंतर विद्यालिन महाविद्यालीन समूह नृत्य स्पर्धा संपन्न हुई
a
व्यंजन स्पर्धा संपन्न हुई
समाज विशेष के आयोजन में छत्तीसगढ़ी समाज द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया
छत्तीसगढ़ी समाज द्वारा व्यंजन का स्टाल भी लगाया गया
सिख समाज द्वारा सिख रेजिमेंट पर नाटक प्रस्तुत किया गया
सिख समाज द्वारा व्यंजन का स्टाल भी लगाया गया
महार्ष्ट्रीयन समाज द्वारा पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया गया
केरला समाज द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया
बंगाली समाज द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया
विभिन्न विषयों पर प्रति दिवश विचार गोष्ठी के कार्यक्रम भी संपन्न हुए
प्रति दिवस सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गए
नागपुर के H B ग्रुप ने आकर्षक कार्यक्रम प्रस्तुत किये
इडियन आइडल फेम भाव्या पंडित ने गीतों के माध्यम से समा बंधा
लाफ्टर चेलेंज फेम राजीव निगम ने खूब हसाया
प्रतियोगिताओ में विजयी प्रतिभाओ को मंच पर सम्मानित किया गया
स्टाल में विक्रय करते स्टाल धारक
मेले में उमड़ी भीड़ प्रति दिवस लगभग 20 से 25 हजार लोगो की उपस्तिथि रहती थी
मुख्य अतिथि रायपुर नगर पालिका निगम में सभापति संजय श्रीवास्तव द्वारा कुदाल चलाकर निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया
स्वदेशी मेले का विधिवत उद्घाटन समारोह छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह, डॉ.एच.आर.नागेन्द्र कुलपति स्वामी विवेकानंद योग अनुसन्धान संस्थान बेंगलुरु एव हिन्दू विश्वविद्यालय अमेरिका, रमेश बैस संसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री, बृजमोहन अग्रवाल लोक निर्माण,स्कूली शिक्षा मंत्री, किरणमयी नायक महापौर रायपुर, संजय श्रीवास्तव सभापति रायपुर नगर निगम की उपस्तिथि में संपन्न हुआ !
मुख्य मंत्री रमन सिंह स्वागत भाषण देते हुए
आमंत्रित अतिथियों को स्मृति चिन्ह दे कर सम्मानित किया गया
छत्तीसगढ़ शासन में विधि व पंचायत मंत्री रामविचार नेताम, बाल सरक्षण आयोग के अध्यक्ष यशवंत जैन हज कमेटी के अध्यक्ष डॉ. राज मेले के दुसरे दिन अतिथि के रूप में उपस्थित हुए
युवा आयोग के अध्यक्ष संतोष पाण्डेय मेले में अतिथि के रूप में उपस्थित हुए
छत्तीसगढ़ शासन में उधोग व वाणिज्य मंत्री दयालदास बघेल अतिथि के रूप में उपस्थित हुए
छत्तीसगढ़ शासन में कृषि मंत्री चन्द्र शेखर साहू अतिथि के रूप में उपस्थित हुए
भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग सिंह देव सम्भोदित करते हुए
छत्तीसगढ़ विधान सभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक सम्भोदित करते हुए
प्रतियोगिताओ की कड़ी में रंगोली प्रतियोगिता संपन्न हुई
चित्रकला स्पर्धा संपन्न हुई
मेहंदी स्पर्धा संपन्न हुई
शिशु वेशभूषा स्पर्धा संपन्न हुई
सलाद सजाओ स्पर्धा संपन्न हुई
अंतर विद्यालिन महाविद्यालीन समूह नृत्य स्पर्धा संपन्न हुई
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व्यंजन स्पर्धा संपन्न हुई
समाज विशेष के आयोजन में छत्तीसगढ़ी समाज द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया
छत्तीसगढ़ी समाज द्वारा व्यंजन का स्टाल भी लगाया गया
सिख समाज द्वारा सिख रेजिमेंट पर नाटक प्रस्तुत किया गया
सिख समाज द्वारा व्यंजन का स्टाल भी लगाया गया
महार्ष्ट्रीयन समाज द्वारा पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया गया
केरला समाज द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया
बंगाली समाज द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया
विभिन्न विषयों पर प्रति दिवश विचार गोष्ठी के कार्यक्रम भी संपन्न हुए
प्रति दिवस सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गए
नागपुर के H B ग्रुप ने आकर्षक कार्यक्रम प्रस्तुत किये
इडियन आइडल फेम भाव्या पंडित ने गीतों के माध्यम से समा बंधा
लाफ्टर चेलेंज फेम राजीव निगम ने खूब हसाया
प्रतियोगिताओ में विजयी प्रतिभाओ को मंच पर सम्मानित किया गया
स्टाल में विक्रय करते स्टाल धारक
मेले में उमड़ी भीड़ प्रति दिवस लगभग 20 से 25 हजार लोगो की उपस्तिथि रहती थी
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