अक्सर,
वह अपने भवन की छत पर खड़ी,
रोज मुझे निहारती है!
समय की घड़िया,
यु ही बीत जाती है!
घंटो से दिन,
दिन से सप्ताह ,
सप्ताह से महीने,
और महीने से साल बीते,
आज भी वह अपने भवन छत पर खड़ी है!
निहार रही है मुझे,
मे भी उसकी और देख रहा हु,
इस आस के साथ की,
वह आज कुछ बोलेगी,
दिल में छुपे राज खोलेगी,
परन्तु अफ़सोस ,
रोज ही की तरह ,
सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम हो गयी,
दिल की बात दिल में ही रह गयी,
किन्तु एक आस छोड़ गयी!
की कल फिर वह छत पर आएगी,
मुझसे नजरे मिलाएगी !
मे भी उसकी और देखूंगा,
इस आस के साथ की वह आज कुछ बोलेगी,
वर्षो छुपे दिल के राज खोलेगी !!
सुन्दर .. आशा पे जीवन है.. और इसी आशा के तहत हम खुश हो लेते है.. आशा से भरपूर सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.... हाँ कोई क्या सोचेगा करके हम बहुत सी जज्बात दिल मे ही रखे रह जाते है ताउम्र .....
जवाब देंहटाएंअरे वाह अमरजीत जी आप तो छुपे रुस्तम निकले....
जवाब देंहटाएंबहुत ही ख़ूबसूरत कविता लिखी थी आपने ...
.
जवाब देंहटाएंअमरजीत जी,
ऐसा ही होता है।
.
अरे साहब ...ये तो बहुत ही बढ़िया है. बधाई.
जवाब देंहटाएंदिल का विश्वास होता ही ऐसा है
जवाब देंहटाएंसब कुछ जानने के बाद भी दिल है कि मानता नहीं
अच्छी कविता
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंक्या आस, क्या प्यास
बहुत अच्छा होता यूं नज़रों का अहसास...
बहुत सुंदर आशावादी सोच की कविता.... काफी पहले लिखी गयी है पर हमेशा प्रासंगिक रहेगी ....
जवाब देंहटाएंआज भी वह अपने भवन छत पर खड़ी है!
जवाब देंहटाएंनिहार रही है मुझे,
yahi to pyaar hai samajh lijiye.
sir
जवाब देंहटाएंहम चाहते है जिसे वो चाहते है किसी और को,
खुदा करे वो चाहते है जिसे वो भी चाहे किसी और को!
aap ne comment likhi ti meri writing ke bare me but kahan chahunga ki wo hamare nasib nahi to kaya hua but upar wala unke ankho me kabhi bhi aansu na laya, thanking u
amar ji bhut khoobsurat rachna hai....bdhayi
जवाब देंहटाएंडॉ.नूतन जी,
जवाब देंहटाएंमंजुला जी,
शेखर जी ,
दिव्या जी ,
वीरेंदर जी ,
विजय जी ,
पूजा जी ,
डॉ.मोनिका शर्मा जी ,
पवन जी ,
anklet ji ,
प्रियंका जी ,
आप सभी का धन्यवाद ..............
aapki rachna bahut achhi hai badhayi
जवाब देंहटाएंaapne mere blog m mera naam galat likha hai aap ek bar dekh lijiye
ye vishwas to aise hi bana rahega......ab bhi raaj dil me hi hai kya???????[:-)]
जवाब देंहटाएंदीप्ती जी मैंने गलती सुधार ली! आपका शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंवंदना जी राज तो अभी भी दिल मे है!
आदरणीय अमरजीत जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
आशावादी सोच की कविता
अच्छी कविता......अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.
संजय जी शुक्रिया ..........
जवाब देंहटाएंbahut hi achi kavita likh dali aapne...dil ko chu gai...bhadhai amarjeet ji
जवाब देंहटाएंAapne aapne Dil ki baat ko nikal kar rakh diya ha.Darpan ki tarah chamak raha hai.PLz, visit my blog.
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