रविवार, 21 नवंबर 2010

पिछले कई दिनों से व्यस्तता रही गुरुनानक जयंती का पर्व और कुछ अन्य कारणों से कुछ नया नहीं लिख पाया!जब मे 10th class में था उन दिनों एक कविता मैंने लिखी थी!हो सकता है आपको पसंद ना आये थोड़ी साधारण है मन के भाव थे जिसे मैंने साधारण शब्दों में ढाला था!इस बार वह प्रस्तुत कर रहा हु!

 अक्सर,
वह अपने भवन की छत पर खड़ी,
रोज मुझे निहारती है!
समय की घड़िया,
यु ही बीत जाती है!
घंटो से दिन,
दिन से सप्ताह ,
सप्ताह से महीने,
और महीने से साल बीते,
आज भी वह अपने भवन छत पर खड़ी है!
निहार रही है मुझे,
मे भी उसकी और देख रहा हु,
इस आस के साथ की,
वह आज कुछ बोलेगी,
दिल में छुपे राज खोलेगी,
परन्तु अफ़सोस ,
रोज ही की तरह ,
सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम हो गयी,
दिल की बात दिल में ही रह गयी,
किन्तु एक आस छोड़ गयी!
की कल फिर वह छत पर आएगी,
मुझसे नजरे मिलाएगी !
मे भी उसकी और देखूंगा,
इस आस के साथ की वह आज कुछ बोलेगी,
वर्षो छुपे दिल के राज खोलेगी !!

19 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर .. आशा पे जीवन है.. और इसी आशा के तहत हम खुश हो लेते है.. आशा से भरपूर सुन्दर रचना.

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  2. बहुत बढ़िया.... हाँ कोई क्या सोचेगा करके हम बहुत सी जज्बात दिल मे ही रखे रह जाते है ताउम्र .....

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  3. अरे वाह अमरजीत जी आप तो छुपे रुस्तम निकले....
    बहुत ही ख़ूबसूरत कविता लिखी थी आपने ...

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  4. .

    अमरजीत जी,
    ऐसा ही होता है।

    .

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  5. अरे साहब ...ये तो बहुत ही बढ़िया है. बधाई.

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  6. दिल का विश्वास होता ही ऐसा है
    सब कुछ जानने के बाद भी दिल है कि मानता नहीं
    अच्छी कविता

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  7. बहुत खूब...
    क्या आस, क्या प्यास
    बहुत अच्छा होता यूं नज़रों का अहसास...

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  8. बहुत सुंदर आशावादी सोच की कविता.... काफी पहले लिखी गयी है पर हमेशा प्रासंगिक रहेगी ....

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  9. आज भी वह अपने भवन छत पर खड़ी है!
    निहार रही है मुझे,
    yahi to pyaar hai samajh lijiye.

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  10. sir
    हम चाहते है जिसे वो चाहते है किसी और को,
    खुदा करे वो चाहते है जिसे वो भी चाहे किसी और को!

    aap ne comment likhi ti meri writing ke bare me but kahan chahunga ki wo hamare nasib nahi to kaya hua but upar wala unke ankho me kabhi bhi aansu na laya, thanking u

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  11. डॉ.नूतन जी,
    मंजुला जी,
    शेखर जी ,
    दिव्या जी ,
    वीरेंदर जी ,
    विजय जी ,
    पूजा जी ,
    डॉ.मोनिका शर्मा जी ,
    पवन जी ,
    anklet ji ,
    प्रियंका जी ,
    आप सभी का धन्यवाद ..............

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  12. aapki rachna bahut achhi hai badhayi

    aapne mere blog m mera naam galat likha hai aap ek bar dekh lijiye

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  13. दीप्ती जी मैंने गलती सुधार ली! आपका शुक्रिया !
    वंदना जी राज तो अभी भी दिल मे है!

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  14. आदरणीय अमरजीत जी
    नमस्कार !
    आशावादी सोच की कविता
    अच्छी कविता......अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.

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  15. bahut hi achi kavita likh dali aapne...dil ko chu gai...bhadhai amarjeet ji

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  16. Aapne aapne Dil ki baat ko nikal kar rakh diya ha.Darpan ki tarah chamak raha hai.PLz, visit my blog.

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