कोई पुस्तैनी जागीर बन बैठा है दूर संचार के तारो को !
कोई हसी मजाक समझ रहा है सुप्रीम कोर्ट की फटकारो को !!
कोई तेलों का दाम बढाकर रिश्वत खोरी करता है !
कोई पी.एम. के आफिस में ही इसरो की चोरी करता है !!
कोई बाट रहा है मयखानों में सड़ाकर अनाज के दानो को !