मंजिल की तलाश में
मिलो लम्बा रास्ता पार किया
कही ठोकरे खाई कही संघर्ष
तो कही समझौता करना पड़ा
सोचा अगर है मंजिल को पाना
तो ये सब सहना ही होगा
परन्तु अफ़सोस ये दुनिया है गोल
जहा से चला था
थक हार कर घूम फिर कर
वही वापस आ गया
सच कहा आपने दिव्या जी !अगर साथ हो तो मंजिल आसानी से मिल जाती है! ये लाइने मैंने उस समय लिखी थी जब मै L.L B . सेकंड इयर में था!अपनों का साथ एकाएक छुट जाने से घोर निरासा हो गयी थी उस वक्त मैंने ये लाइने लिखी थी ....... आप मेरे ब्लॉग में आई आपने उत्साहवर्धन किया मान बढाया धन्यवाद !
मंजिल तो तय है, प्रतीक्षा करें, शायद आपने मंजिल तक का रास्ता ऊपर वाले के हिसाब के विपरीत जल्दी तय कर ली होगी.[;-)] उचित समय पर मंजिल का आभास होने लगेगा.
माना कि दुनिया है गोल मगर हर बिन्दु हमे तय करना है हर बिन्दु से हमे कुछ पाना है उसे लेकर आगे बढना है खाली हाथ लेकर यहाँ हर कोई सफर शुरु करता है वक्त हमारे हाथों में हर पल एक पल देता है जो हम पल से लेते है , किस्मत उसको कहते हैं जो हम पल को देते है , उसको ही सफलता कहते है गोल धरा पर घूम के जब , लौट कर वही पर आते हैं बेसक खाली हाथ हो पर , अनुभव की गढरी लाते हैं
वंदना जी आभार आपका अब तो उचित समय का ही इंतजार है ! पलाश जी धन्यवाद आपने जिस अंदाज हमारा मन बढाया लाजवाब है! विजय जी धन्यवाद! साहिल जी धन्यवाद! क्षितिजा जी शुक्रिया !
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जवाब देंहटाएंअमरजीत जी,
दुनिया गोल जरूर है, लेकिन मंजिल सिर्फ कुछ क़दमों के फासले पर ही है। दोस्त साथ हों तो ये सफ़र आसानी से तय हो जाता है।
शुभकामनाएं।
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bhut khubsurat lines hai...prarthana hai aapki manjil aapko jroor mile....all da best...
जवाब देंहटाएंachha hai, padhte padhte aapne bhi likhne ka manch bana lia...swagat hai...
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने दिव्या जी !अगर साथ हो तो मंजिल आसानी से मिल जाती है! ये लाइने मैंने उस समय लिखी थी जब मै L.L B . सेकंड इयर में था!अपनों का साथ एकाएक छुट जाने से घोर निरासा हो गयी थी उस वक्त मैंने ये लाइने लिखी थी ....... आप मेरे ब्लॉग में आई आपने उत्साहवर्धन किया मान बढाया धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंप्रियंका जी आपका स्वागत है ! आपने उत्साह बढाया उसके लिए धन्यवाद ...
जवाब देंहटाएंशेखर जी आपका भी स्वागत है !पड़ते पड़ते ही लिखने का मन बना है सही कहा आपने इसी तरह उत्साह बढ़ाते रहिएगा !ब्लॉग में आये इसके लिए धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! पहली पोस्ट नया ब्लॉग
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं आपको
"मिलो" की जगह "मीलों" आना चाहिए शायद
@परन्तु अफ़सोस ये दुनिया है गोल
जहा से चला था
थक हार कर घूम फिर कर
वही वापस आ गया
हा हा हा , वाह क्या लोजिक है , सही कहा
और हाँ ... ब्लॉग जगत में एक ब्लोगर के रूप में आपका स्वागत
जवाब देंहटाएंगौरव जी पधारने के लिए धन्यवाद ! मात्रा की गलती बताने के लिए शुक्रिया इसी तरह मार्गदर्शन कीजियेगा ...........दीपावली की अग्रीम शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो पहली रचना के लिए बधाई!!!!!
जवाब देंहटाएंमंजिल तो तय है, प्रतीक्षा करें, शायद आपने मंजिल तक का रास्ता ऊपर वाले के हिसाब के विपरीत जल्दी तय कर ली होगी.[;-)] उचित समय पर मंजिल का आभास होने लगेगा.
छोटी किन्तु सारगर्भित रचना!
माना कि दुनिया है गोल मगर
जवाब देंहटाएंहर बिन्दु हमे तय करना है
हर बिन्दु से हमे कुछ पाना है
उसे लेकर आगे बढना है
खाली हाथ लेकर यहाँ
हर कोई सफर शुरु करता है
वक्त हमारे हाथों में हर पल एक पल देता है
जो हम पल से लेते है , किस्मत उसको कहते हैं
जो हम पल को देते है , उसको ही सफलता कहते है
गोल धरा पर घूम के जब , लौट कर वही पर आते हैं
बेसक खाली हाथ हो पर , अनुभव की गढरी लाते हैं
अमर जी अच्छी कोशिश के लिय आपको बधाई ।
bahut hee khoobsurat rachna ...badhayi
जवाब देंहटाएंamar gee comment se word verificayion hata de ..to achchha rahega
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है.......अच्छी कविता के साथ आग़ाज़ किया है आपने......बधाई!
जवाब देंहटाएंbahut khoob ... aapne thek kaha jahaan se chale wahin wapis pahunch gaye ...
जवाब देंहटाएंवंदना जी आभार आपका अब तो उचित समय का ही इंतजार है !
जवाब देंहटाएंपलाश जी धन्यवाद आपने जिस अंदाज हमारा मन बढाया लाजवाब है!
विजय जी धन्यवाद!
साहिल जी धन्यवाद!
क्षितिजा जी शुक्रिया !
khubsurat rachna...blog jagat me aapka swagat hai amar jee...mere blog par aa kar mera hausla badhane ke liye dhanyawad.
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंWelcome to da world of blogging... keep writin :)
जवाब देंहटाएंअनु जी, गिरीश जी, मोनाली जी आप सभी का आभार दीपमाला पर्व की आप सभी को शुभकामनाये ................
जवाब देंहटाएंzindagi ka bahut khubsurat paksh dikha diya aapne....diwali ki bahut bahut shubkamnaye.....
जवाब देंहटाएं► अमरजीत जी ,,,
जवाब देंहटाएंदुनिया का चक्कर कब गोल नहीं था..? यह तो हमारी समझ पर निर्भर है.....आपकी रचना अच्छी लगी दोस्त...
अगर मौका मिले तो मेरा ब्लॉग भी है भ्रमण के लिए...
(मेरी लेखनी.. मेरे विचार..)
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