शनिवार, 23 अप्रैल 2011

अंग्रेजो से ज्यादा भ्रष्ट नेताओ ने देश को लुटा

भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा
भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले
30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है!
या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है!
या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक फोर लेन रोड बनाया जा सकता है!
ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है !
ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो!
 यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है!
 जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2011 तक जारी है!
इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है!
अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा,
मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है!
एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़ ,या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है!
 भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है.
सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है! हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है!
हाल ही में हुए  घोटालों का आप सभी को पता ही है -
 CWG घोटाला, 2 G SPECTRAM घोटाला , आदर्श घोटाला S बैंड घोटाला,कामनवेल्थ घोटाला,सड़ा गला खादान्न घोटाला,हाउसिंग लोन घोटाला,पामोलिन घोटाला,IPL घोटाला  ... और ना जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले है ........

रविवार, 10 अप्रैल 2011

भ्रष्टाचार के विरुद्ध मुहीम

दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रसिद्द समाजसेवी अन्ना हजारे के अनशन से सरकार की मुश्किलें खड़ी हो गयी थी ! जन लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर अनशन कर रहे हजारे को व्यापक जन समर्थन मिला ! दिल्ली के जंतर मंतर से यह आवाज निकल कर पुरे देश में फ़ैल गयी ! देश के विभिन्न राज्यों में धरना,उपवास ,रैली ,मशाल जुलुस ने इस आन्दोलन को जन आन्दोलन का रूप दे दिया ! फेस बुक और ट्विटर में इस विषय पर लोगो ने अपने कमेंट्स देने शुरू कर दिए ! एक प्रकार से होड़ सी लगी रही समर्थन देने वालो की !मोबाईल में आने वाले SMS भी इस अनशन को लेकर ही थे !
सोचनीय विषय यह है की इस आन्दोलन को इतना व्यापक जन समर्थन कैसे मिला ! बहुत हद तक तो राजनेताओ ,भ्रष्ट मंत्रियो ,नौकरशाही में व्याप्त भ्रस्टाचार से पीड़ित जनता की वर्षो से दबी आग ने अन्ना के अनशन से चिंगारी का रूप लिया !स्कूल में एडमिशन से लेकर ,ड्रायविंग लाइसेंस बनाने ,सरकारी कार्यो में अफसरों बाबुओ को रिश्वत देते देते आम जनता त्रस्त हो चुकी थी !इस आक्रोशित विचार को अन्ना के अनशन ने ज्वालामुखी का रूप दिया ! ज्वालामुखी के फटने से जो लावा विरोध स्वरूप बह निकला उसकी चपेट में आज नहीं तो कल राजनेता ,भ्रष्ट मंत्री नौकरशाह चपेट में आयेंगे ! अपने आप में एक तरह से एक नए आन्दोलन की शुरुआत अन्ना हजारे ने की है ! इस आन्दोलन में राजनेताओ को छोड़कर फ़िल्मी हस्तिया , क्रिकेट खिलाडी , वरिष्ठ समाजसेवी सम्मिलित रहे ! राजनेताओ ने भी इस आन्दोलन में अपना समर्थन देने का प्रयाश किया परन्तु आंदोलनरत लोगो ने राजनेताओ को इस आन्दोलन से दूर खदेड़ दिया ! आन्दोलन के कोर ग्रुप में स्वामी अग्निवेश का होना आश्चर्य का विषय है ! घोर नक्सली समर्थक स्वामी अग्निवेश पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ लाल सलाम का नारा लगते दिखे थे ! उनका इस मुहीम में होना आश्चर्य का विषय है ! हर एक आन्दोलन की शुरुआत नेक नियति व जन आन्दोलन को लेकर प्रारम्भ होती है परन्तु कुछ लोगो के आने से इस आन्दोलन का स्वरूप बदल जाता है !वह आन्दोलन अपनी दिशा से भटक कर गलत हाथो में चला जाता है ! नक्सल बाड़ी का जन आन्दोलन चलने वाले कानू सान्याल का आन्दोलन आज कई राज्यों में सिरदर्द बन चूका है ! हथियार थामे नक्सली अब राज्यों की सत्ता को ललकार रहे है , सुरक्षा बलों की निर्मम हत्या कर रहे है , जन अदालत लगाकर तालिबानियों की तर्ज पर सजाए दे रहे है !
अन्ना जी आपके द्वारा चलाई गई मुहीम निश्चित ही इस देश की दशा व दिशा बदलने में सहायक होगी परन्तु अंजाम में पहुचने के लिए हथियारों के बल पर निष्कर्ष निकालने वालो के समर्थको को पहचान कर उन्हें दूर करे क्योकि गाँधी जी के मार्ग पर चलने वाले इस आन्दोलन में हिंसा के मार्ग पर चलने वाले नक्सलियों के समर्थक स्वामी अग्निवेश का क्या काम !
अन्ना जी ने सयुक्त सदस्यीय समिति में जिन्हें सदस्य मनोनीत किया है उन्हें लेकर जो सार्वजानिक मतभेद उभरे है वह स्वभाविक है ! अन्ना जी का आन्दोलन एक जन आन्दोलन था परन्तु 5 सदस्यों का नाम चुनने में जो अलोकतांत्रिक तरीका अपनाया गया वह उचित नहीं था विशेष रूप से अरविन्द केजरीवाल के चयन को लेकर अनशन स्थल पर भारी विरोध के स्वर उठे साथ ही 5 सदस्यों में पिता व पुत्र को एक साथ रखने पर भी भारी विरोध के स्वर उठे ! शांति भूषण और प्रशांत भूषण के एक साथ 5 सदस्यीय समिति में होने का भारी विरोध हुआ ! योग गुरु बाबा रामदेव ने भी इसका विरोध किया है साथ ही साथ धरना स्थल पर लोगो ने विरोध स्वरूप नारेबाजी भी की अनशन तोड़ने से मना कर दिया ! अन्ना जी जुश पिलाने आये तो उन्हें भी मना कर दिया गया !
अब सोचनीय विषय यह है की मुहीम अच्छी थी वे स्वयम एक अच्छे सुलझे हुए समाजसेवी है ! देश की स्थिति को लेकर उनके आन्दोलन में देश भर के हर उम्र दराज के लोग जुड़ते गये ! ऐसे में स्वामी अग्निवेश जैसे लोगो का होना अरविन्द केजरीवाल सहित परिवार वाद को बढ़ावा देने पिता पुत्र को एक साथ सम्मिलित करना अलोकतांत्रिक तरीके से चयन करना इस आन्दोलन को भविष्य में किस और ले जायेगा चिंतनीय है क्योकि अभी तो शुरुआत है मंजील अभी बहुत दूर है ! बिल , विधेयक अथवा कानून तो इस देश में बहुत से बने है परन्तु उसकी सार्थकता तभी है जब ऐसे विधेयक के मूल उद्देश्यों से जनता को लाभ हो और दोषियों को सजा मिले !